गोरखपुर में खोजे नहीं मिल रहे 14 हजार असलहाधारी
चुनावों में भी अपने असलहा जमा नहीं करवा रहे हैं 14 हजार असहलाधारी, सरकार की वेबसाइट पर भी नहीं दे रहे जानकारी।
रजनीश त्रिपाठी, गोरखपुर : जान का खतरा बताकर शस्त्र लाइसेंस हासिल करने वाले 14 हजार से अधिक लाइसेंसी अब सिस्टम के लिए ही खतरा बन गए हैं। ये लाइसेंसी कहां हैं, असलहा खरीदा या नहीं, उनके शस्त्र किस स्थिति में हैं, वह प्रदेश में हैं या फिर किसी दूसरे राज्य में, आनलाइन इसकी कोई जानकारी किसी के पास उपलब्ध नहीं है। ये स्थिति तब है कि जब हर एक-दो साल के अंतराल पर कोई न कोई चुनाव पड़ रहा है, जिसमें सभी शस्त्र लाइसेंसियों को असलहा जमा करने की नोटिस दी जाती है। ये नोटिस उन तक पहुंचती है या नहीं और वह इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं, ये इसकी भी एक नजीर है।
प्रशासन और न्यायालय की सख्ती के बाद फिलहाल नए शस्त्र लाइसेंसों पर भले ही रोक लग गई हो, लेकिन इसके पहले आत्मरक्षार्थ बनवाए गए हजारों लाइसेंस प्रशासनिक अधिकारियों के लिए खासी मुसीबत बने हुए हैं। कई वारदातों में इस्तेमाल असलहों के लाइसेंसी होने के बाद भी उसके लाइसेंसियों के बारे में पता न चलने पर केंद्र सरकार ने पूरे देश में सभी शस्त्र लाइसेंसों को आनलाइन करने की कवायद शुरू की थी। करीब चार साल से चल रही इस प्रक्रिया के तहत पूरे प्रदेश में हजारों शस्त्र लाइसेंस अब तक आनलाइन हो चुके हैं। गोरखपुर में भी अब तक 7754 लोगों ने अपने लाइसेंस आनलाइन करा लिए। हालांकि रजिस्टर पर दर्ज जब कुल शस्त्र लाइलेंसियों की संख्या देखी गई तो पता चला कि 14 हजार से अधिक ऐसे लोग हैं जो अब तक आनलाइन कराने के लिए कार्यालय नहीं पहुंचे, जिन्होंने शस्त्र लाइसेंस बनवा लिया था।
आंकड़ों में लाइसेंसियों की स्थिति
वेबसाइट पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार गोरखपुर में शस्त्र लाइसेंसियों की संख्या 21952 है। भारत सरकार की इस वेबसाइट पर 31 मार्च 2018 शस्त्र लाइसेंसियों की फीडिंग की गई। इसके मुताबिक गोरखपुर में 7754 लाइसेंस धारक ही अपने शस्त्र को आनलाइन करा सके हैं। बाकि असलहाधारक ों का कोई अता-पता नहीं है।
साइट खुलने का कर रहे हैं इंतजार
सूत्रों के अनुसार कई लाइसेंसियों को इस बात की जानकारी ही नहीं हो सकी कि लाइसेंस को आनलाइन कराकर शस्त्र का नंबर आनलाइन चढ़वाना है। चार साल तक चली इस प्रक्रिया से छूट जाने वाले लोग अब दोबारा इसके इंतजार में है। सरकार ने मार्च 2018 से आनलाइन साइट बंद कर दी है।
उधर, जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन ने बताया कि बड़े पैमाने पर ऐसे लोग हैं जिनके लाइसेंस आनलाइन नहीं हो पाए हैं। साइट केंद्र सरकार की है, इसलिए वह वहीं से खोली जानी है। सैनिक कल्याण बोर्ड की पिछली बैठक में भी मैने कहा था कि अगर बड़े पैमाने पर सैनिक बंधु ऐसे हैं तो उनकी सूची तैयार कराई जाए। हम केंद्रीय शासन प्रणाली को भी साइट को कुछ दिन के लिए खोलने का अनुरोध करेंगे।