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Coronavirus: गोरखपुर के 110 निजी अस्पतालों को मिली इमरजेंसी में इलाज की अनुमति Gorakhpur News

110 अस्पतालों की इमरजेंसी में इलाज की अनुमति से गंभीर रूप से बीमार लोगों को राहत मिलेगी। इन अस्पतालों की इमरजेंसी में आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी अपना इलाज करा सकते हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 10:00 PM (IST)
Coronavirus: गोरखपुर के 110 निजी अस्पतालों को मिली इमरजेंसी में इलाज की अनुमति Gorakhpur News
Coronavirus: गोरखपुर के 110 निजी अस्पतालों को मिली इमरजेंसी में इलाज की अनुमति Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग ने लॉकडाउन के दौरान 110 निजी अस्पतालों को इमरजेंसी में इलाज करने की सशर्त अनुमति दे दी है। इनमें डेंटल क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर और नर्सिंग होम शामिल हैं। अनुमति के साथ ही कोविड-19 को लेकर सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिए गए हैं, इनका पालन न होने पर अनुमति निरस्त कर दी जाएगी।

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आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी करा सकते हैं इलाज

सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि इस समय जिला अस्पताल व बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में फ्लू कॉर्नर को छोड़कर अन्य ओपीडी की सेवाएं पूरी तरह से बंद है। इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं। इमरजेंसी में कुछ अस्पताल गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन लगभग 80 फीसद डॉक्टरों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी है। ऐसे में 110 अस्पतालों की इमरजेंसी में इलाज की अनुमति से गंभीर रूप से बीमार लोगों को राहत मिलेगी। इन अस्पतालों की इमरजेंसी में आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी अपना इलाज करा सकते हैं।

इन शर्तों का करना होगा पालन

निजी अस्पतालों को संदिग्ध मरीजों की सूची स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। साथ ही उनकी कोरोना जांच भी करानी होगी। मरीजों को फोन पर भी परामर्श देना होगा। अस्पतालों को एन-95 मास्क, पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट) किट व संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपाय अपनाने होंगे। संदिग्ध मरीजों के लिए अलग कमरा होगा। अस्पताल के बाहर हाथ धोने और सैनिटाइजर की व्यवस्था करनी होगी। मरीज और तीमारदार को मास्क लगाने के बाद ही अस्पताल में प्रवेश दिया जाएगा। मरीज के साथ एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकेगा।

अस्पतालों में बिना चिकित्सक की पर्ची और जांच रिपोर्ट के होगा इलाज

पूर्वोत्तर रेलवे के अस्पताल अब अपने मरीजों का पूरा ब्यौरा रखेंगे। अस्पतालों में नियमित इलाज कराने वाले रेलकर्मियों व उनके परिजनों को चिकित्सक की पर्ची और जांच रिपोर्ट ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। चिकित्सक अपने सिस्टम पर यूनिक मेडिकल आइडेंटिटी कार्ड (उम्मीद) के माध्यम से मरीज के मर्ज, जांच और चल रही दवाइयों की पूरी जानकारी हासिल कर लेंगे। इस सुविधा को शुरू करने के लिए अस्पतालों में हॉस्पिटल इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआइएमएस) लगाए जा रहे हैं। समस्त चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, ओपीडी, फार्मेसी, प्रयोगशाला, एक्स-रे, पैथालॉजी, प्रबंधन और रेलकर्मियों के 'उम्मीदÓ कार्ड एचआइएमएस से सीधे जुड़ जाएंगे। सिस्टम लागू होने के बाद न केवल पूरा अस्पताल आनलाइन हो जाएगा बल्कि अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को रिसेप्शन पर ही टीवी के माध्यम से अपडेट जानकारी मिलती रहेगी। मरीज घर बैठे चिकित्सक से परामर्श का समय भी ले सकेंगे। यही नहीं विषम परिस्थितियों में मरीज घर बैठे ही चिकित्सक से फोन पर परामर्श ले सकेंगे। फिलहाल, बादशाहनगर और गोंडा के अस्पतालों में एचआइएमएस कार्य करने लगा है। जल्द ही ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल गोरखपुर में भी यह सुविधा मिलने लगेगी।

नहीं चलेगी चिकित्सकों की मनमानी

एचआइएमएस लागू हो जाने से चिकित्सकों की मनमानी नहीं चलेगी। चिकित्सक कब अस्पताल पहुंचे, ओपीडी में कितनी देर बैठे और कितने मरीजों को देखा, लोगों को इसकी पूरी जानकारी आनलाइन मिलती रहेगी। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि मरीजों को बेहतर सुविधा देने व व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से एचआइएमएस लागू किया जा रहा है। धीरे-धीरे सभी अस्पतालों में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।  


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