देश के विकास को ग्रामीण स्वावलंबन जरूरी: योगी
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : गांवों का देश भारत की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी गांवों से होकर जाती है। ऐसे में ग्रामीणों का स्वावलंबी होना बेहद जरूरी है। आज इंटरनेट का युग है फिर भी देश की बहुसंख्य जनता इसकी पहुंच से बाहर है। ऐसे में पुस्तकें उनकी सच्ची सहयोगी बन सकती हैं।
उक्त बातें गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी एवं सांसद योगी आदित्यनाथ ने कचहरी क्लब में चल रहे पुस्तक मेले में दीपक बंका की पुस्तक ग्रामीण स्वावलंबन का विमोचन करते हुए कहीं। कहा कि लेखक दीपक बंका ने अपनी पुस्तक में जिन विधियों से ग्रामीण स्वावलंबन को स्पष्ट किया है,वह उनकी स्वतंत्र सोच है। बाजारवाद के दौर में ग्रामीणों का आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.अनंत मिश्र ने कहा कि कोई लेखक लिखता इसलिए है क्योंकि वर्तमान में जो कुछ हो रहा है उससे वह असहमत रहता है। ऐसे में संबंधित परिदृश्य पर लिखने के लिए उसके मन में एक आंदोलन होता है। अध्यक्षीय संबोधन में आचार्य रामदेव शुक्ल ने कहा कि मूलत: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश भारत की नीतियां कृषि के लिए लाभ के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक नहीं हो पा रही हैं।
विमोचन अवसर पर मुख्य रूप से डा.उमा सराफ, मस्तराज शाही,प्रमोद टेकड़ीवाल,डा.विमल मोदी, सत्यप्रकाश पाठक, श्री प्रकाश अग्रवाल, डा.सुजीत चौधरी, डा.राजशरण शाही, अर्जुन अग्रवाल, विनोद शाह आदि मौजूद रहे। समारोह में आभार ज्ञापन भारत विकास संगम की ओर से अंतर्यामी ने किया।
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जादुई शिल्प है पाठक की लेखनी
गोरखपुर : पुस्तक मेले के समापन की पूर्व संध्या पर लेखक से मिलिए कार्यक्रम में रविवार को कथाकार हरीश पाठक की कहानी अंतिम किस्त का पाठ किया गया। अपने संग्रह सोलह कहानियां की आखिरी कहानी अंतिम किस्त का वाचन लेखक ने खुद किया।
कहानी पाठ के बाद हुए विमर्श में प्रख्यात साहित्यकार प्रो.रामदेव शुक्ल ने कहा कि हरीश पाठक की लेखनी में जादुई शिल्प है। इन्होंने अपनी कहानियों में कई तरह के अभिनव प्रयोग किए हैं। आधुनिक जीवन में व्याप्त भौतिक त्रासदी व मनुष्य के जीवन की सर्जनात्मक उपलब्धियों को एक साथ समेटकर हरीश पाठक कहानियों का जो तानाबाना बुनते हैं वह कथ्य और शिल्प दोनो ही दृष्टि से बेजोड़ है। वहीं आकाशवाणी व दूरदर्शन के निदेशक रहे डा.उदयभान मिश्र ने कहा कि लेखक हरीश की कहानियां अतीत की ओर ले जाती हैं। इनकी कहानियों का शिल्प अद्भुत है। इससे पूर्व पुस्तक मेले के आयोजक देवराज अरोरा ने लेखक हरीश पाठक,प्रो.रामदेव शुक्ल,देवेंद्र आर्य व उदयभान मिश्र का स्वागत किया।
समारोह का संचालन कस्टम अधिकारी पंकज मिश्र ने किया। इस विशिष्ट कार्यक्रम में प्रो.सुरेंद्र दुबे,प्रो.चितरंजन मिश्र,डा.रंजना जायसवाल,कथाकार मदन मोहन सहित कई चर्चित हस्तियों ने शिरकत की।
लेखन और अभिनय साथ-साथ
गोरखपुर : पुस्तक मेले में यूं तो देश के अनेक जाने-माने प्रकाशकों ने सहभागिता की है, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो आपके अपने शहर से ताल्लुक रखता है। इनका नाम है अजय कुमार मिश्र अजय श्री। मूलत: सिसवा बाजार महराजगंज निवासी अजय श्री इन दिनों अपनी साहित्य सर्जना लखनऊ में कर रहे हैं। वह लेखन के साथ-साथ अभिनय कला में भी सक्रिय हैं। स्टार प्लस के धारावाहिक कुमकुम, थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी सहित अनेक धारावाहिकों में अभिनय कर चुके अजय श्री ने ध्रुव सत्य,आज का सच सहित अनेक साहित्यिक रचनाएं की हैं। अजय श्री ने अपना काव्यसंग्रह आपका सच अपनी पत्नी को समर्पित किया है। इस रचना में उन्होंने यह कहने का प्रयास किया है कि हर मनुष्य को कर्म करना है और कर्म के लिए ज्ञान की जरूरत है। अजय श्री कुष्ठ रोग पर आधारित टेलीफिल्म काश के लिए सम्मानित भी किए जा चुके हैं।
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