हिंदी साहित्य का विकास है प्राथमिकता: डा. विश्वनाथ तिवारी
गोरखपुर : हिंदी भाषा हमारी पहचान, सभ्यता व संस्कृति है। साहित्य अकादमी में पहली बार कोई हिंदी भाषी अध्यक्ष निर्वाचित हुआ है, यह स्वयं मेरे लिए गर्व की बात है। ईश्वर ने अवसर दिया है तो पद पर रहते हुए हिंदी साहित्य और उससे जुड़ी प्रतिभाओं का विकास ही मेरी पहली प्राथमिकता होगी।
यह बातें साहित्य अकादमी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कही। मनोनयन के पश्चात रविवार को प्रथम बार महानगर पधारे डा. तिवारी ने बातचीत में बहुत कुछ कहा। उनके चेहरे पर अध्यक्ष बनने से ज्यादा खुशी इस बात की दिखी कि पहली बार किसी हिंदी के साहित्यकार को अकादमी का प्रतिनिधित्व मिला है। उन्होंने बताया कि उनके निर्वाचन में साहित्य अकादमी के सभी चौबीस भाषाओं के कन्वीनरों ने सर्वसम्मति से सहमति जताई, यह भी हिंदी भाषियों के लिए गर्व का विषय है। तीस वर्षो बाद यह पहला अवसर है जब कोई अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना गया है। पर बधाई प्रस्ताव लाने पर सभी सदस्यों के प्रति आभार ज्ञापित किया। साथ ही उन्होंने गोरखपुर सहित देश भर की मीडिया के प्रति भी आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि हिंदी भाषी के अध्यक्ष बनने की खबर को जिस कदर मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, उससे बहुत खुशी मिली है। इससे पूर्व डा. तिवारी के वैशाली एक्सप्रेस द्वारा दिल्ली से आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया। पूर्वाह्न 9 बजे गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर प्रो. चितरंजन मिश्र, प्रो. अनंत मिश्र, युवा चेतना समिति के सचिव मांधाता सिंह तथा प्रो. अनिल राय सहित तमाम साहित्यकारों एवं प्रबुद्धजनों ने डा. तिवारी को फूलमालाओं से नवाज कर अभिनंदन किया।
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