आप भी जानें- इस तरह के आभूषणों पर होती है 100 फीसद री-सेल वैल्यू Gorakhpur News
टांका के नाम पर आमतौर पर ज्वेलर पूरी री-सेल वैल्यू नहीं लगाते लेकिन यदि वास्तविक हॉलमार्क है तो उस आभूषण की री-सेल वैल्यू 100 फीसद होती है।
गोरखपुर, जेएनएन। हॉलमार्क आभूषण को लेकर ग्राहकों के मन में कई तरह की भ्रांतियां होती हैं। टांका के नाम पर आमतौर पर ज्वेलर पूरी री-सेल वैल्यू नहीं लगाते लेकिन यदि वास्तविक हॉलमार्क है तो उस आभूषण की री-सेल वैल्यू 100 फीसद होती है। वेस्टेज एवं मेकिंग चार्ज के रूप में आठ से 12 फीसद की कटौती की जाती है।
क्या है री-सेल वैल्यू का मतलब
जब आप खरीदकर लाए आभूषण को दोबारा बेचने जाते हैं तो जो दाम लगाया जाता है, उसे री-सेल वैल्यू कहते हैं। अधिकतर दुकानदार हॉलमार्क आभूषण में भी मिश्रित धातु का टांका लगा होने का हवाला देते हुए सोने को पूरा खरा नहीं मानते और पूरी री-सेल वैल्यू नहीं देते। पर, हॉलमार्क सोने की शुद्धता की पूरी गारंटी देता है, जितने कैरेट की शुद्धता खरीदते हुए होती है, उतने ही कैरेट की शुद्धता बेचने ले जाने पर भी मिलनी चाहिए। आभूषण बनाने में लगने वाले मेकिंग चार्ज व होने वाले वेस्टेज के रूप में आठ से 12 फीसद की कटौती होती है। करीब 80 फीसद आभूषणों में 12 फीसद की कटौती होती है। शुद्धता को लेकर कोई कटौती नहीं होनी चाहिए।
असली हॉलमार्क की पहचान के लिए बरतें ये सावधानी
हॉलमार्क लगे आभूषण लेते समय बीआइएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडड्र्स) की ओर से जारी लाइसेंस जरूर देखें।
संदेह हो तो कैरेट मीटर पर शुद्धता की जांच करें।
आभूषण खरीदते हुए पक्की रसीद जरूर मांगें।
आभूषण पर लगा हॉलमार्क सोने की शुद्धता की गारंटी देता है। जितने कैरेट का सोना है, उतना ही प्रमाणित होता है। इस चिन्ह के साथ बाइबैक (री-सेल वैल्यू) 100 फीसद होता है। मेकिंग व वेस्टेज चार्ज काटा जाता है। - अतुल सराफ, निदेशक, ऐश्प्रा