पुरुष बंदियों को हुनरमंद बनाने की तैयारी
गोंडा : विभिन्न आरोपों में मंडल कारागार में निरुद्ध पुरुष बंदियों को समाज की मुख्यधारा से
गोंडा : विभिन्न आरोपों में मंडल कारागार में निरुद्ध पुरुष बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ-साथ उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए जेल प्रशासन ने नई योजना तैयार की है। इसके तहत अब पुरुष बंदियों को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिए जाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। उधर, जेल में निरुद्ध 55 महिला बंदियों को सिलाई-कलाई सहित अन्य ट्रेड में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
जेल प्रशासन की मंशा है कि विभिन्न आरोपों में जेल में कैद बंदी जब सलाखों के बाहर जाएं तो उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। रोजगार होगा तो उनका मुख दुबारा अपराध की ओर नहीं होगा। ऐसे में वह अपना ही रोजगार चलाकर परिवार का भरण पोषण कर सकेंगे। जेल अधीक्षक ने इसके लिए एक अभिनव पहल की है। इसके तहत पुरुष बंदियों को उनकी क्षमता व रुचि के अनुसार विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किए जाने की तैयारी है। इन ट्रेडों में बढ़ईगीरी, दर्जी, राजगीर, इलेक्ट्रीशियन, डेयरी, कंप्यूटर सहित आधुनिक व तकनीकी खेती शामिल है। जेल के पास करीब 25 एकड़ से अधिक जमीन है। जिस पर विभिन्न प्रकार की खेती होती है। जेल अधीक्षक शशिकांत ¨सह ने बताया कि बंदियों को निश्शुल्क रोजगारपरक प्रशिक्षण दिए जाने के लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इसे जिलाधिकारी सहित विभागीय उच्चाधिकारियों के पास भेजा जाएगा। इसके लिए विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से भी संपर्क साधा जा रहा है, जो बंदियों को निश्शुल्क रोजगारपरक प्रशिक्षण दिला सकें। जेल अधीक्षक ने बताया कि कारागार में पर्याप्त जगह है। जिसमें बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। शासन व उच्चाधिकारियों से अनुमति मिलते ही इस पर अमल शुरू कर दिया जाएगा। जेल अधीक्षक ने बताया कि अभी तक महिला बंदियों को छह माह का निश्शुल्क सिलाई-कढ़ाई सहित अन्य प्रशिक्षण दिए गए हैं। कुछ महिला बंदी जो बाहर गई हैं वह आज अपने घर में सिलाई कढ़ाई कर स्वावलंबी बन चुकी हैं।