पांच साल से फाइलों में उलझा सीवर लाइन का प्लान
गोंडा : आइए आपको गोंडा शहर की सबसे बड़ी दिक्कत से वाकिफ कराते हैं। शहर के 27 वा
गोंडा : आइए आपको गोंडा शहर की सबसे बड़ी दिक्कत से वाकिफ कराते हैं। शहर के 27 वार्डों में रह रही करीब तीन लाख की आबादी को जल निकासी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कहीं पर नाले चोक हैं तो कहीं पर सड़क पर पानी भरा हुआ है। नालियां भी टूटी हुई है, जिससे शहर में जलभराव की समस्या से हर कोई जूझ रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार बेफिक्र है।
शहर में कुल 38 नाले हैं। वैसे तो पालिका प्रशासन इन नालों की सफाई का दावा कर रही है लेकिन उसके सामने लोक निर्माण विभाग की सड़कें एक बड़ी मुसीबत बनी हुई हैं। शहर में पीडब्ल्यूडी की कुल सात सड़कें हैं लेकिन कहीं भी जल निकासी का प्रबंध नहीं है। वर्तमान में ही फोरलेन सड़कें बन रही हैं लेकिन नाले को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहा है। जिससे लोगों के घरों के सामने पानी भर रहा है। यही नहीं कई कालोनियों का अनियोजित विकास भी इसमें बाधा पैदा कर रहा है। यही नहीं, शहर में जल निकासी को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने सीवर लाइन का प्रोजेक्ट तैयार कराया लेकिन आज तक वह हिचकोले खा रहा है।
इनसेट एक नजर प्लान पर - गोंडा में सीवर लाइन का प्लान 332 करोड़ रुपये का तैयार किया गया था। जिसमें 25 मिलियन लीटर प्रतिदिन की क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट, 232.697 किलोमीटर की सीवरेज लाइन, एक अदद इंटरमीडिएट पं¨पग स्टेशन, 325 मीटर की राइ¨जग मेंस, 3 स्टॉफ क्वार्टर, 270.50 मीटर की बाउंड्रीवाल व 60 मीटर की एप्रोच रोड शामिल है। इस प्लान पर बाद में काम करके उसे बढ़ाया गया, लेकिन स्वीकृति नहीं मिल सकी। इनसेट जिम्मेदार के बोल ईओ विकास सेन का कहना है कि जलभराव व जल निकासी की समस्या का निस्तारण कराया जा रहा है। इसके लिए मॉनीट¨रग की जा रही है। सीवर लाइन के प्रोजेक्ट के बारे में पता करवाया जा रहा है।