खाली कुर्सी देख मरीजों की बढ़ जाती है पीड़ा
आठ बजे के बजाए 11 बजे तक चिकित्सकों की खाली रहती है कुर्सी शारीरिक दूरी का नहीं रखा जाता है ध्यान
गोंडा : मरीजों को सुलभ इलाज देने के लिए भले ही अधिकारी दिनरात एक कर रहे हो लेकिन, चिकित्सकों व कर्मियों की मनमानी से सरकार की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रहा है। आठ बजे खुलने वाली ओपीडी में चिकित्सकों का 11 बजे तक पता नहीं रहता है। खाली कुर्सी देखकर दूर दराज से आने वाले मरीजों की पीड़ा और भी बढ़ जाती है। यही नहीं, बेसहारा पशुओं के खड़े रहने से मरीज व तीमारदार को किसी अनहोनी की आशंका बना रहती है। शारीरिक दूरी का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। अस्पताल की अव्यवस्था पर अधिकारियों की नजर नहीं पड़ रही है। प्रस्तुत है रमन मिश्र व छायाकार अमित पांडेय की रिपोर्ट
²श्य एक : समय 11 बजे। जिला अस्पताल के ओपीडी कक्ष तीन में चिकित्सक की कुर्सी मिली। यहां पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता बैठी थी। बाहर फर्श पर बैठे मरीज चिकित्सक का इंतजार कर रहे थे। सेमरा कॉलोनी निवासिनी सलीमा ने बताया कि वह सुबह साढ़े नौ बजे से चिकित्सक के इंतजार में बैठी है लेकिन 11 बजने वाले हैं चिकित्सक का पता नहीं है।
²श्य दो : जिला अस्पताल की गैलरी मरीजों व तीमारदारों से खचाखच भरी थी। मुड़ेरवा माफी निवासी बच्चाराम अपनी बिटिया को दिखाने लाया था लेकिन चिकित्सक की कुर्सी खाली थी। उसने बताया कि बिटिया के गले में दर्द हो रहा है। दौलतपुर निवासी नाजिमा अपनी बेटी के साथ सुबह नौ बजे से बैठी थी। उसकी बेटी दर्द से रो रही थी। हड्डी विभाग के सामने मरीजों की भीड़ थी। चिकित्सक की ड्यूटी दिव्यांग जन प्रमाण पत्र बनाने में लगी थी। जिन्हें मरीजों को भी देखना था। जो शिफ्टवार काम करते मिले।
²श्य तीन : जिला अस्पताल परिसर में स्थित प्रतीक्षालय में बेसहारा पशु विचरण करते मिले। यहां मरीज व तीमारदारों ने बताया कि बेसहारा पशु कभी-कभी हिसक रूप अख्तियार कर लेते हैं। इससे किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। क्षेत्रीय निदान केंद्र में स्थित सीटी स्कैन कक्ष का दरवाजा बंद मिला। परसपुर निवासिनी गुड़िया ने बताया कि वह सीटी स्कैन करवाने के लिए आई थी लेकिन उसे बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है।
जिम्मेदार के बोल
-जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ.एसके रावत का कहना है कि सभी चिकित्सक समय से ओपीडी में बैठते हैं। सीटी स्कैन मशीन सही है। व्यवस्था में सुधार का प्रयास किया जा रहा है।