महिलाओं को मिली प्रेरणा, खोज लिया गरीबी से निकलने का रास्ता
गोंडा : गांव में दो वक्त की रोटी व रहने के लिए अच्छे मकान को तरस रहीं महिलाओं ने अब खुद ही गरीबी से
गोंडा : गांव में दो वक्त की रोटी व रहने के लिए अच्छे मकान को तरस रहीं महिलाओं ने अब खुद ही गरीबी से निकलने का रास्ता ढूंढ़ लिया है। पहले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह बनाया, फिर घरेलू खर्च से थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर बैंक में जमा किए। छह माह बाद ही विभाग से 15 हजार रुपये का रिवा¨ल्वग फंड क्या मिला, हौसलों को उड़ान मिल गई। ब्लॉक परिसर में प्रेरणा कैंटीन खोली और कमाई का रास्ता तलाश लिया। जिले के 15 ब्लॉकों में महिलाएं कैंटीन चला रही हैं। कैंटीन में सुबह नाश्ते में चना, लड्डू के साथ ही चाय मिलती है। नमकीन की व्यवस्था के साथ ही दोपहर में समोसे व गोभी की पकौड़ी दी जाती है। यदि कोई भोजन करने का इच्छुक हो तो गरमागरम पूड़ी-सब्जी का भी जायजा ले सकता है। महिलाएं रोस्टर के अनुसार काम करती हैं और माह भर बाद पूंजी को निकालने के बाद जो भी पैसा बचता है बराबर बांट लेती हैं। उपायुक्त स्वत : रोजगार दिनेश कुमार यादव का कहना है कि इससे 150 महिलाओं को रोजगार मिला है।
अब किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं
-इटियाथोक ब्लॉक परिसर में चेतना महिला स्वयं सहायता समूह दिखलौल को कैंटीन दी गई है। शनिवार को रोस्टर के अनुसार अध्यक्ष सीमा देवी व कोषाध्यक्ष विमला देवी कैंटीन चला रही थीं। उनका कहना था कि समूह में 11 सदस्य हैं, प्रत्येक दिवस दो लोग काम करते हैं। खेती कम है, परिवार बड़ा। ऐसे में अब मुझे किसी के आगे के चार पैसे के लिए हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। प्रभारी बीडीओ विकास मिश्र का कहना है कि कैंटीन में प्रत्येक दिवस औसतन एक से डेढ़ हजार रुपये की सामग्री बिक जाती है।