..जरा याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आए
पुलिस बर्बरता का शिकार हुए चार छात्रों की याद में
-पुलिस बर्बरता का शिकार हुए चार छात्रों की याद में विशेष
कमल किशोर सिंह, परसपुर (गोंडा) : गुरु शिष्य की परंपरा का निर्वहन करते हुए द्वापर युग में गुरु द्रोणाचार्य के सम्मान में शिष्य एकलव्य द्वारा अपना अंगूठा काटकर भेंट करने की बात तो सभी ने सुना होगा लेकिन, गुरु के लिए अपने प्राणों की आहुति देने की बात किसी भी युग में नहीं सुनाई दी। यहां गुरुजनों की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले चार छात्रों को शिक्षक विधायक ओमप्रकाश शर्मा ने शहीद का दर्जा दिया था। इनके सम्मान में टीएस इंटर कॉलेज में शहीद स्मारक बना हुआ है। शुक्रवार को इनकी 29वीं पुण्यतिथि है।
बात वर्ष 1992 की है। परसपुर थाने के चालक विजय कुमार सिंह की प्राइवेट जीप से कस्बा निवासी अनवारुल हसन उर्फ बाउर की मौत हो गई। पत्नी जहीदा मुकदमा कराने गई तो चालक ने रुपये का प्रलोभन देकर मामले को रफादफा करने का झांसा दिया। बाद में वह मुकर गया। यह बात जहीदा ने टीएस कॉलेज के अध्यापक एसपी से बताई। उन्होंने रुपये के लिए सिपाही पर दबाव डाला। 21 जनवरी की रात घर जाते वक्त उक्त सिपाही ने अध्यापक पर हमला करके हवालात में भिजवा दिया। अन्य अध्यापकों के पहुंचने पर वह छूट पाए। 22 जनवरी को अध्यापक सीओ से मिलने कर्नलगंज पहुंच गए। उधर स्कूल आए छात्रों को जब प्रकरण मालूम हुआ तो वह विरोध दर्ज कराने थाने की ओर चल दिए। छात्रों को आता देख पुलिस ने थाना से ही गोली चला दी। इसमें छात्र इंदुप्रकाश मिश्र, अशोक कुमार सिंह, प्रदीप सिंह व हरिशंकर सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने जमकर तांडव करके कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया। दोष छात्रों पर मढ़ने की कोशिश की। इसमें 59 लोगों को मुल्जिम बनाकर 18 को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, प्रमोद तिवारी आए थे। शिक्षकों ने आंदोलन चलाया। शिक्षक नेता एसपी मिश्र समेत तमाम लोगों को जेल जाना पड़ा लेकिन, उनका आंदोलन रंग लाया और छात्र के हत्यारे दारोगा रामबचन यादव समेत कई पुलिस कर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा हुआ और आरोपितों को जेल जाना पड़ा।