यहां राम नाम पर लॉकडाउन
बंदियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए किया गया था प्रयास
गोंडा : यहां राम नाम पर भी लॉकडाउन का असर पड़ गया। यह अचरज वाली बात भले ही लग रही हो, लेकिन सौ फीसद सच है। जिला जेल में निरुद्ध बंदी अयोध्या से आने वाली कॉपी में रामनाम लिखते थे। कॉपी भरने के बाद उसे अयोध्या स्थित अंतर्राष्ट्रीय श्रीराम नाम बैंक में जमा कराया जाता था। जमा कराने के बाद वहां से दूसरी कॉपी मिल जाती थी। मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से अयोध्या से कॉपियों का आना बंद हो गया। इससे जिला जेल में पिछले चार माह से रामनाम लिखने का कार्य बंद है। रामनाम लिखने वाले बंदियों का समय भी नहीं कट रहा।
क्या था मकसद: जिला जेल में निरुद्ध बंदियों को राम नाम का सहारा है। वह सुधार, कल्याण की मंशा से राम नाम का लेखन कर रहे हैं। वर्ष 2016 में यह पहल तत्कालीन जेल अधीक्षक आरके त्रिपाठी ने शुरू की थी। बंदियों का आत्मसुधार करने के लिए राम नाम के लेखन की व्यवस्था शुरू की थी। उस वक्त मनकापुर के कुंवर विक्रम सिंह व समाजसेवी रुचि मोदी ने इसमें सहयोग किया था। उसी वक्त बंदियों ने अयोध्या के राम नाम बैंक में अपना खाता खोलवाया था। जिसके बाद कॉपियां आती थी, जिसमें लाल कलम से बंदी राम नाम लिखते थे। जिसे अयोध्या स्थित बैंक में जमा किया जाता था।
कैसे लगी ब्रेक: मार्च माह में राम नाम लिखने में जेल के 50 बंदी लगे हुए थे। उसी वक्त कोरोना के कारण लॉकडाउन शुरू हो गया। जिसमें आवागमन पर रोक के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में कॉपियां नहीं आ पा रही हैं। जिससे यह व्यवस्था बंद है।
क्या कहते हैं अफसर: जिला जेल के अधीक्षक शशिकांत सिंह का कहना है कि यह बात सही है कि पहले बंदी राम नाम लिखते थे, जिसे अयोध्या स्थित बैंक में जमा कराया जाता था। लॉकडाउन के कारण इसमें समस्या आई है, स्थिति सामान्य होते ही कॉपियां मंगाकर राम नाम लेखन शुरू कराया जाएगा।