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रिकॉर्ड में दर्ज, जमीन से गुम हो गए 8.68 लाख पौधे

पौधारोपण मुहिम के तहत दो वर्ष में नष्ट हो गए 12 प्रतिशत लगवाए गए पौधे जिले में हुई थी 61.15 लाख पौधों की रोपाई 52.86 लाख पौधे जीवित होने का दावा

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 11:19 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:03 AM (IST)
रिकॉर्ड में दर्ज, जमीन से गुम हो गए 8.68 लाख पौधे
रिकॉर्ड में दर्ज, जमीन से गुम हो गए 8.68 लाख पौधे

गोंडा : सरयू नहर परियोजना की पटरियों पर गत वर्ष अभियान के तहत चांदपुर से नगदही तक 2200 पौधे लगवाने का दावा किया गया था। अब यहां दूर-दूर तक पटरी पर पौधे नहीं दिख रहे हैं। निगरानी के अभाव में कुछ पौधे सूख गए, जबकि कुछ पौधों को बेसहारा जानवरों ने चर लिया। कुछ ऐसा ही हाल तरबगंज ब्लॉक परिसर का है। यहां भी पौधों की रोपाई कराई गई थी, लेकिन सुरक्षा नहीं हो सकी। ये चंद मामले तो सिर्फ बानगीभर हैं। वन विभाग की जमीन पर लगे पौधों को छोड़ दिया जाए तो अन्य विभाग की सरकारी जमीन पर लगे पौधों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए। सिर्फ किसानों द्वारा अपने खेतों में लगाए गए सबसे ज्यादा पौधे सुरक्षित हैं। किसानों ने फलदार के अलावा नीम व अन्य पौधे भी लगाए हैं। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में गत दो वर्षों में 61 लाख से अधिक पौधे लगाए गए थे, जिसमें से करीब 12 प्रतिशत (8.68 लाख) पौधे सूखने का दावा सरकारी आंकड़ों में किया गया है। इनसेट

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-गत दो वर्षों में पौधरोपण का लक्ष्य-5255700

-कितने पौधे की हुई रोपाई-6154319

-पौधारोपण से कवर हुआ क्षेत्रफल-3078 हेक्टेयर

-पौधारोपण के बाद सुरक्षित पौधे-5286319

-रोपाई के बाद सूखे/नष्ट हुए पौधे करीब-12 प्रतिशत

-रोपे गए अच्छे प्रजाति के पौधों का प्रतिशत-95

-रोपे गए खराब प्रजाति के पौधों का प्रतिशत-05

-पौधारोपण मुहिम पर हुआ खर्च करीब-14 करोड़ औसतन लगने वाले पौधे व खर्च

प्रति हेक्टेयर लगने वाले पौधे औसतन-2000

प्रति हेक्टेयर पौधारोपण पर आने वाला खर्च-45000

वन विभाग द्वारा लगवाए गए पौधे जीवित-96 प्रतिशत

अन्य विभाग द्वारा लगवाए गए पौधे जीवित-80 प्रतिशत कितना हुआ कब पौधारोपण

वित्तीय वर्ष लक्ष्य पूर्ति

2018-19 1288459 1854319

2019-20 3967241 4300000

योग : 5255700 6154319 फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की तरफ से गत वर्ष हुए पौधारोपण का थर्ड पार्टी सत्यापन कराया गया था। इसमें वन विभाग के 96 प्रतिशत पौधे जीवित पाए गए थे। जबकि अन्य विभागों द्वारा लगवाए गए 80 प्रतिशत पौधे जीवित होने की रिपोर्ट मिली थी।

- आरके त्रिपाठी, डीएफओ गोंडा


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