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गोंडा में जैविक खेती पर खर्च होंगे तीन करोड़, किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग

कृषि विभाग ने पंरपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित करने का फैसला किया है।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Wed, 07 Jun 2017 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2017 01:35 PM (IST)
गोंडा में जैविक खेती पर खर्च होंगे तीन करोड़, किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग
गोंडा में जैविक खेती पर खर्च होंगे तीन करोड़, किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग

गोंडा (जेएनएन)। रसायनिक नहीं अब जैविक खेती से किसान अपने कामयाबी का रास्ता चुनेंगे। कृषि विभाग आर्थिक रूप से मदद करने के साथ ही खेती से जुड़ी हर जानकारियां उपलब्ध कराएगा। गोंडा समेत सूबे के नौ जिलों में 2250 एकड़ जैविक खेती को शासन की मंजूरी मिल गई है। 45 कलस्टर में होने वाली जैविक खेती पर 3.21 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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कृषि निदेशक ने संबंधित जिले के अधिकारियों को पत्र जारी कर दिए हैं। खेतों में रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वराशक्ति कम हो जाती है, वहीं रसायन युक्त अनाज सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। ऐसे में कृषि विभाग ने पंरपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित करने का फैसला किया है।

जैविक खेती 50 एकड़ के कलस्टर में कराई जाएगी। इसके लिए गोंडा समेत नौ जिलों में 45 कलस्टर की योजना को मंजूरी मिली है। एक कलस्टर पर औसतन 7.13 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। कृषि विभाग जैविक उत्पाद पैक कराने के साथ ही मार्केटिंग की भी व्यवस्था कराएगा। 2250 एकड़ जैविक खेती के लिए 3.21 करोड़ रुपये आवंटन को हरी झंडी मिली है। कृषि निदेशक ज्ञान सिंह ने गोंडा समेत अन्य जिलों के अधिकारियों को पत्र जारी कर दिए हैं।

तीन वर्ष बाद रसायनमुक्त अनाज: परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कलस्टर में किसानों का चयन किया जाएगा। एक किसान औसतन एक एकड़ में जैविक खेती करेगा। कार्ययोजना के अनुसार तीन वर्ष बाद रसायनमुक्त अनाज तैयार होगा। पहले वर्ष किसान बिना रसायन उर्वरक व पेस्टीसाइड डाले ही बोवाई करेगा। इसके बाद तैयार फसल के बीज की बोवाई दूसरे वर्ष किया जाएगा। तीसरे वर्ष तैयार होने वाली फसल शुद्ध होगी।

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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण: जैविक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। विभाग प्रशिक्षण आयोजित करके जानकारियां देगा। इसके अतिरिक्त जैविक खेती वाले राज्यों में विजिट भी कराई जाएगी। वर्मी कंपोस्ट व नेडफ कंपोस्ट तैयार करने के लिए किसानों को मदद मिलेगी। यही खाद किसान खेतों में डालेंगे। किसान धान, गेहूं के साथ ही अन्य खेती कर सकते हैं। 

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