21 दिन ताबूत में रहा शव, अब मिलेगा इंसाफ
का शव रेलवे लाइन पर पाया गया उन्होंने बताया कि सुनील साहू की मौत न तो ट्रेन से कटकर हुई और न ही उसने आत्महत्या की है। सुनील की कुछ लोगों ने हत्या करके साजिशन रेलवे लाइन पर लाश पर फेंक दी। उन्होंने बताया कि डीएम के फैसले से न्याय की उम्मीद जगी है इसलिए धरना समाप्त कर दिया गया है।
गोंडा : परिवारजन हत्या की आशंका जता रहे थे, जबकि पुलिस दुर्घटना मान रही थी। उसने सुनील साहू के शव का पोस्टमॉर्टम तो करा दिया लेकिन, रिपोर्ट नहीं दर्ज की। न्याय न मिलता देख पीड़ित परिवार ने शव ताबूत में बंद कर मिट्टी के नीचे रख दिया। इसके बाद मामले में एफआइआर की मांग करने लगे। थाने का चक्कर लगाकर परेशान परिवारजन को साहू समाज का सहारा मिला। वह पखवारेभर बाद जिला पंचायत परिसर में धरने पर बैठ गए। तीन दिनों तक धरना-प्रदर्शन के बाद जब मामले की जानकारी डीएम डॉ. नितिन बंसल को मिली तो उन्होंने पीड़ित पक्ष को बुलाया और उसकी व्यथा सुनी। दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने के बाद मामले में एफआइआर दर्ज कराने की बात पर परिवारजन मान गए। डीएम ने 19 सितंबर को ही नगर मजिस्ट्रेट राकेश सिंह व एएसपी महेंद्र कुमार को धरना स्थल पर भेजकर ज्ञापन लिया। 20 सितंबर को राज्यपाल के दौरे के चलते सुबह आदेश नहीं हो सका। शाम को डीएम ने दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने के लिए तहसीलदार सदर को मजिस्ट्रेट नामित किया। तहसीलदार सदर पैगाम हैदर ने दूरभाष पर बताया कि वह शव को खोदवाने के लिए गांव पहुंच रहे हैं। इनसेट
क्या है मामला
-साहू समाज के अध्यक्ष श्रीराम साहू ने बताया कि इटियाथोक के बहोरीपुर निवासी सुनील साहू का शव एक सितंबर को रेलवे लाइन पर पाया गया। उसकी कुछ लोगों ने हत्या करके साजिशन रेलवे लाइन पर लाश पर फेंक दी। डीएम के फैसले से न्याय की उम्मीद जगी है।