मनरेगा घोटाले में एफआइआर के बाद खामोश हो गए अफसर
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गोंडा : मनरेगा में बिना कार्य कराए ही भुगतान करने के मामले में एफआइआर के बाद अफसर खामोश हो गए हैं। एक माह का समय बीतने के बावजूद मामले में किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस मामले की विवेचना के लिए अभिलेख जुटाने के लिए कवायद में जुटे होने का दावा कर रही है। अलग-अलग छह मामलों में रिटायर्ड बीडीओ समेत 9 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
मामला कटराबाजार ब्लॉक की ग्राम पंचायतों का है। सात सितंबर को अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने गोड़वा व भरथा इटहिया में छापेमारी की थी। गोड़वा गो आश्रय केंद्र में 202 मजदूरों को कार्य पर दिखाया गया था लेकिन, निरीक्षण के दौरान एक भी मजूदर मौके पर नहीं मिला। एक ही कार्य को कई परियोजनाओं में बांटकर लाखों रुपये के भुगतान का खुलासा हुआ था। जबकि उपायुक्त श्रम एवं रोजगार की जांच में ब्लॉक की तीन ग्राम पंचायतों में 36.95 लाख रुपये का घोटाला पकड़ा गया। डीएम के आदेश पर बीडीओ कटराबाजार पुष्पा वर्मा ने तत्कालीन बीडीओ अनिरुद्ध प्रताप सिंह, अवर अभियंता आरईएस गिरजेश मणि त्रिपाठी, लेखाकार कृष्ण कुमार मिश्र, तकनीकी सहायक अजय कुमार पांडेय, कार्य प्रभारी बृजेश कुमार तिवारी व पवन कुमार गुप्ता, पूरेबदल की रोजगार सेवक आराधना मिश्रा, बौनापुर की रोजगार सेवक सुखमती शुक्ला व बनगांव के रोजगार सेवक पवन कुमार शुक्ल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
एसओ कटराबाजार मनोज सिंह का कहना है कि एक-एक चरण में कागज मंगाया जा रहा है। समय लगता है इसलिए धीरे-धीरे कार्यवाही हो रही है।