फासले मिटाने को पुल की आस, जनता अब तक निराश
फासले में कोई पुल नहीं बना है। जबकि बाराबंकी जिला की 11 ग्राम पंचायतें नदी के जहां इस पार हैं वहीं गोंडा के तमाम किसानों की खेती नदी के उस पार है। यही नहीं बाढ़ की कटान के बाद गोंडा के परसपुर के चंदापुर किटौली गांव के करीब 40 परिवार घाघरा नदी के उस पार रह रहे हैं। उन्हें लोकसभा विधानसभा व पंचायत चुनाव में मत डालने के लिए नाव से इस पार आना पड़ता
गोंडा: कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में प्रवाहित रही घाघरा नदी के मुर्तिहनघाट पर पुल निर्माण नहीं हुआ। 50 किमी. के दायरे में पुल न होने से गोंडा जिले के अलावा बड़ी संख्या में बाराबंकी जिले की आबादी भी प्रभावित है। कारण 11 बाराबंकी जिले की ग्राम पंचायतें नदी के इस पार हैं, वहीं गोंडा के तमाम किसानों की खेती नदी के उस पार है। यही नहीं, बाढ़ की कटान के बाद गोंडा के चंदापुर किटौली गांव के करीब 40 परिवार घाघरा नदी के उस पार रह रहे हैं। उन्हें लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनाव में मत डालने के लिए नाव से इस पार आना पड़ता है। अयोध्या की प्रसिद्ध 84 कोसी परिक्रमा कई जिलों के पौराणिक स्थलों की परिक्रमा करने के बाद जब गोंडा में प्रवेश करती है तो अविरल बहती घाघरा नदी के तट पर परिक्रमार्थियों के पैर ठिठक जाते हैं और नाव पर बैठकर घाघरा नदी पार करते हैं। ऐसे में घाघरा नदी पर पुल निर्माण की मांग क्षेत्र का बड़ा मुद्दा है लेकिन, राजनीतिक दलों के एजेंडे में यह शामिल नहीं हो पाता। इस बार भी संसद में पहुंचने के लिए बेताब प्रत्याशियों के एजेंडे से यह मुद्दा गायब है। यह बात दीगर है कि पुल निर्माण को लेकर लगातार क्षेत्र के लोग आवाज मुखर करते हैं। प्रस्तुत है अजय सिंह/कमल किशोर सिंह की यह रिपोर्ट..। स्थानीय निवासी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि घाघरा नदी के मूर्तिहन घाट पर पुल बन जाने से कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के हजारों लोगों का लखनऊ तक का सफर आसान हो जाएगा और क्षेत्र में विकास की रफ्तार तेज हो जाएगी। राकेश प्रताप शुक्ल ने कहा कि घाघरा नदी पर पुल की मांग कई दशक से हो रही है। पुल के न होने से अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा में शामिल तमाम श्रद्धालु नाव से नदी पार करने में भयभीत रहते हैं। अजय कुमार सिंह कहते हैं कि बाराबंकी जिले की करीब एक दर्जन ग्राम पंचायतें जो घाघरा नदी के इस पार गोंडा जिले की सरहद में हैं, इन्हें तहसील रामसनेही घाट व जिला मुख्यालय बाराबंकी पहुंचने के लिए नाव से उस पार जाना पड़ता है। बरसात में समस्या और बढ़ जाती है। अखिलेश शुक्ल का कहना है कि सरयू नदी पर पसका के त्रिमुहानी घाट, भौरीगंज के लाला घाट व कर्नलगंज के कचनापुर घाट पर पुल निर्माण हो जाने से लोग सरयू नदी पुल से पार जाते हैं लेकिन, घाघरा नदी पर पुल न होने से बाराबंकी आदि जिला को पहुंचने में परेशानी बढ़ जाती है। अवध नरायन सिंह ने बताया कि इकनियां मांझा घाट पर सैकड़ों दूधिया व व्यापारी व्यापार के वास्ते घाघरा नदी नाव से पार करके गोंडा जिले के कई कस्बों में आते हैं। पुल बन जाने से आवागमन सुलभ हो जाएगा। अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि घाघरा नदी ने बरसात के समय तमाम लोगों के खेती पाती को नष्ट करके अपने बहाव का रुख उत्तर की ओर कर लिया है जिससे सैकड़ों किसानों की खेती दूसरे छोर पर हो जाने से उन्हें अपनी उपज लाने में दिक्कत होती है। अवधेश सिंह ने कहा कि अमेठी, सुल्तानपुर व प्रतापगढ़ के तमाम श्रद्धालु जेठ माह में बहराइच जिला के सैय्यद सालार मसूद गाजी की मजार पर जियारत करने जाते हैं। वह इकनियां मांझा घाट नाव से पार करके इस पार आते हैं। पुल बन जाने से उनकी यात्रा सुगमता से पूरी हो सकेगी। सुरेश सिंह ने कहा कि चुनाव के वक्त जैसे नेताओं को एक-एक मत याद याद रहता है और दिन-रात एक करके वोट मांगते हैं। ऐसे ही उन्हें क्षेत्र की समस्या को भी याद रखना चाहिए।
मुर्तिहनघाट पर पुल निर्माण बेहद जरूरी है। राजनीतिक दलों को अपने चुनावी मुद्दे में इसे अवश्य शामिल करना चाहिए। चुनाव बाद यदि इस पुल को लेकर कवायद शुरू नहीं हुई तो मंच की ओर से पत्राचार करने के साथ ही आंदोलनात्मक रुख भी अख्तियार किया जाएगा।
अरुण सिंह, अध्यक्ष परसपुर विकास मंच