अंग्रेजों की सरकार में अमर शहीद ने चूमा था फांसी का फंदा
गोंडा : देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने को लेकर अपने जान की बाजी लगाने वाले वीर
गोंडा : देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने को लेकर अपने जान की बाजी लगाने वाले वीर सपूत राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने शहर से सटे छावनी सरकार गांव में ही स्थित कारागार में फांसी का फंदा चूमा था। अंग्रेजों की सरकार ने 17 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी थी। गांव में ही उनकी समाधि के साथ ही अन्य स्मारक बने हुए हैं। यहां पुलिस का चांदमारी केंद्र भी है।
इन पर है नाज
- गांव को सबसे ज्यादा फº देश को आजादी दिलाने के लिए अपने जान की बाजी लगाने वाले भारत मां के वीर सपूत राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के बलिदान पर है। सिर्फ 26 वर्ष की आयु में फांसी का फंदा चूमने वाले इस सपूत का बलिदान युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
आजीविका के साधन- यहां के लोगी रोजी रोटी के लिए मजदूरी के साथ ही खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ लोग सरकारी तो कुछ प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। कुछ लोगों को बिजली उपकेंद्र पर भी रोजगार मिल जाता है।
आधारभूत ढांचा- गांव में 6 मजरे हैं। जिसमें तोपखाना, इमिलिया, मौहरिया, धरखनपुरवा, नयापुरवा, नईबस्ती शामिल हैं। आबादी 3300, जबकि मतदाता 2700 हैं। दो प्राइमरी व एक जूनियर हाईस्कूल है। गांव से थाने की दूरी चार किलोमीटर है। हैंडपंप के जरिए लोग पानी पीते हैं, गांव में छह तालाब भी हैं।
यह हो तो बने बात
- गांव जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। शुद्ध पानी के लिए पाइप लाइन परियोजना की जरूरत है। सफाई व्यवस्था चौपट है। सड़क के साथ ही रोजगार के लिए न तो बड़ा उद्योग है और न कोई अन्य व्यवस्था।