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बेल का था बाग, गांव का नाम पड़ा बेलहरी

गोंडा : सदर तहसील के बेलहरी गांव अतीत की यादों को संजोए हुए है। वक्त बीता, लेकिन गांव क

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 09:51 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 09:51 PM (IST)
बेल का था बाग, गांव का नाम पड़ा बेलहरी
बेल का था बाग, गांव का नाम पड़ा बेलहरी

गोंडा : सदर तहसील के बेलहरी गांव अतीत की यादों को संजोए हुए है। वक्त बीता, लेकिन गांव की निशानी अभी भी सलामत है। बुजुर्गों की मानें तो पहले यहां बेल का बगीचा था। यहां से लोग बेल व उसकी पत्ती तोड़कर पूजन के लिए ले जाते थे। कुछ लोगों का मानना है कि राजा रुद्रबक्श ¨सह के सैनिक इसी बगीचे में विश्राम करते थे। राजा ने गांव वालों की सेवा से खुश होकर जमीन दान कर दी थी। बाद में बेलहरी के नाम से गांव बस गया। आज भी गांव में बेल के पेड़ हैं।

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इन पर है नाज

- गांव के भगौती प्रसाद भूतपूर्व सैनिक, आशुतोष मिश्र सैनिक कमांडो, राधेश्याम मिश्र मेजर, बृजेश मिश्र वायुसेना, नंद किशोर तिवारी उपनिरीक्षक, मनोज कुमार व विजय कुमार सिपाही, राजेंद्र तिवारी, कुसुम देवी व सरोज देवी अध्यापक हैं।

आजीविका का साधन

- गांव के लोग नौकरी के लिए तैयारी करते है। गांव में कुछ लोग व्यवसाय तो कुछ लोग मजदूरी करके आजीविका चलाते हैं। सरकारी नौकरी के साथ ही प्राइवेट सेक्टर में काम करते है।

आधारभूत ढांचा

- गांव में 4 मजरे हैं। छोटकी बेलहरी, बडी बेलहरी, जोतिया व ¨सहपुर मजरे शामिल हैं। आबादी 2805 तथा मतदाता 1668 है। गांव में दो प्राथमिक स्कूल व आंगनबाडी केंद्र है। गांव से थाने व अस्पताल की दूरी दो किलोमीटर है।

यह हो तो बने

- ग्राम पंचायत में न तो स्वास्थ्य केंद्र है और न ही राजकीय डिग्री कॉलेज। गांव में सफाई व्यवस्था भी चौपट है। एएनएम सेंटर, साफ-सफाई की व्यवस्था, शिक्षा के स्तर में सुधार, उच्च शिक्षा के लिए सरकारी विद्यालय, स्ट्रीट लाइट, वाटर सप्लाई आदि की सुविधा लोगों को मिलनी चाहिए।


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