'हनी' के 'मनी' ने घोल दी शंकर की जिदंगी में मिठास
गोंडा : सिर्फ ढाई बीघा खेती, चार संतानों की पढ़ाई का भार। गरीबी की मार से लाचार परस
गोंडा : सिर्फ ढाई बीघा खेती, चार संतानों की पढ़ाई का भार। गरीबी की मार से लाचार परसपुर के रामशंकर की ¨जदगी में मधुमक्खी पालन ने जीवन में खुशियों की मिठास घोल दी। चार बॉक्स से मधुमक्खी पालन करने वाले रामशंकर का कारोबार 60 बॉक्स तक पहुंच गया है। उनके घर शुद्ध शहद के लिए लोग इंतजार करते हैं। हर साल करीब 8-10 क्विंटल शहद का उत्पादन करके घर से ही 200 रुपये प्रति किलो की दर से बेंच देते है। एक-एक पैसे के मोहताज रामशंकर मधुमक्खी पालन से हरसाल डेढ़ से दो लाख रुपये कमा लेते हैं। शहद नवंबर से लेकर दिसंबर व जून माह में निकलती है। वर्ष 2014 में रामशंकर को कृषि विज्ञान केंद्र से मुफ्त में ट्रे¨नग के साथ ही बॉक्स दिए गए थे। इसके बाद बाराबंकी से इटैलियन एपिस मेलीफेरा मधुमक्खी लाकर पालन किया गया। इससे करीब 20 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
गरीबी ने किया मजबूर, अब खुशियां भरपूर : परसपुर के दुरगोड़वा में रहने वाले रामफेर तिवारी के चार बेटे थे। बंटवारे में इनके पुत्र रामशंकर तिवारी को ढाई बीघा जमीन हिस्से में मिली थी। इनकी मानें तो उन्हें इंटरमीडियट की पढ़ाई के दौरान 1998 में ही मधुमक्खी पालन के बारे में बताया गया था लेकिन, वह यह काम नहीं कर सके। मजबूर होकर उन्होंने 2014 में कृषि विज्ञान केंद्र गोपालग्राम से संपर्क किया। मधुमक्खी धीरे-धीरे जब इसमें लाभ होने लगा तो उन्होंने खुद ही कारोबार को बढ़ाना शुरू कर दिया।
दुरगोड़वा के रामशंकर मधुमक्खी पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं। अब उनसे इच्छुक अन्य किसान भी जुड़ने लगे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में हरसाल किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
-डॉ. उपेंद्रनाथ ¨सह, वरिष्ठ वैज्ञानिक केवीके गोपालग्राम गोंडा