अवधी का बढ़ाया मान, मिलेगा जायसी सम्मान
गोंडा शिवपूजन शुक्ल की चरनवां कै धूर पुस्तक का हुआ चयन।
गोंडा : गोनार्द की माटी में साहित्य के अंकुर अब बड़े होने लगे हैं। उप्र हिदी संस्थान ने जिले के तीन लेखक/ रचनाकारों को पुरस्कार के लिए चयनित किया है। अवधी में रामकथा पर आधारित लोकभजन की पुस्तक चरनवां कै धूर लिखने पर शिवपूजन शुक्ल को मलिक मुहम्मद जायसी पुरस्कार मिलेगा। जबकि, साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शिवकांत मिश्र विद्रोही व सतीश आर्य को साहित्य भूषण सम्मान मिलेगा।
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गुम होती परंरपराओं की दिलाई याद
- तरबगंज के जमथा गांव निवासी अवधी भाषा के कवि व लेखक शिवपूजन ने अपनी पुस्तक के माध्यम से गुम होती परंपराओं की याद दिलाई है। चरनवां कै धूर पुस्तक में भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े सभी संस्कारों के बारे में लोक भजन के बारे में बताया गया है। भगवान के चरण की मिट्टी का महत्व, अहिल्या के उद्धार व केवट के पांव पखारने के प्रसंग का पता चलता है। यह पुस्तक मलिक मुहम्मद जायसी पुरस्कार के लिए चयनित हुई है। इसके तहत लेखक को 75 हजार रुपये पुरस्कार राशि व प्रशंसा पत्र मिलेगा।
छात्र जीवन से कर रहे काव्य रचना
- खरगूपुर कस्बे के निवासी शिवाकांत मिश्र विद्रोही छात्र जीवन से ही काव्य रचना कर रहे हैं। वह मंच पर ओज, राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में नवगीतकार के साथ आकाशवाणी पर छंदकार रूप में लोकप्रिय हैं। स्वास्थ्य विभाग में राजपत्रित पद से सेवानिवृत्त विद्रोही की अबतक किसलय कलश, सुगंध के हस्ताक्षर, वीरभद्र ओज खंड काव्य, नवगीत संग्रह रोटी है तो दाल नहीं प्रकाशित हो चुकी है। साहित्यभूषण सम्मान के लिए चयनित होने पर उप निदेशक सूचना देवीपाटन मंडल डा. राजेंद्र यादव ने कवि को सम्मानित किया। कड़ी मेहनत से तय किया सफर
- मनकापुर के भिटौरा गांव निवासी डा. सतीश आर्य साहित्य की पूंजी को संजोए हुए हैं। वह गरीब परिवार में पैदा हुए और पले-पढ़े। पढ़ाई के बाद उन्होंने शिक्षक से लेकर साहित्यकार बनने का सफर कड़ी मेहनत के दम पर तय किया। इनकी रचनाएं समाज को आइना दिखाने में काफी मददगार साबित हुई हैं। अपनी रचनाओं के जरिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी सम्मान पा चुके हैं। डा. सतीश आर्य को इस बार साहित्य भूषण सम्मान के लिए चुना गया है। उन्हें ढाई लाख रुपये की पुरस्कार राशि के साथ ही प्रशंसा पत्र मिलेगा।