जन्मजात बीमारियों से बच्चों की ¨जदगी बचाएं, जिम्मेदारी निभाएं
प्रसव इकाई पर तैनात चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स को यदि किसी बच्चे में जन्मजात दोष जैसे- रीढ़ की हड्डी में सूजन, कटा हुआ होंठ व तालू, मुड़ा हुआ पैर, जन्म से ही हाथ-पैर की अंगुली जुड़ी होना, अस्पष्ट जननांग, मल-त्याग के रास्ते का छेद खुला हुआ न होना आदि दिखाई दे, तो इनकी पहचान कर तुरंत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम को अवगत कराया जाय। जिससे बच्चों में पाये जाने वाले जन्मजात दोषों का सही समय पर इलाज करके होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
गोंडा: प्रसव इकाई पर तैनात चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स को यदि किसी बच्चे में जन्मजात दोष जैसे- रीढ़ की हड्डी में सूजन, कटा हुआ होंठ व तालू, मुड़ा हुआ पैर, जन्म से ही हाथ-पैर की अंगुली जुड़ी होना, अस्पष्ट जननांग, आदि दिखाई दे, तो इनकी पहचान कर तुरंत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम को अवगत कराया जाय। इससे बच्चों में पाए जाने वाले जन्मजात दोषों का सही समय पर इलाज करके होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
शुक्रवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में नोडल अधिकारी डॉ. मलिक आलमगीर ने कहा कि इससे शिशु मृत्युदर में कमी लाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम प्रबंधक उमाशंकर वर्मा ने बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख बच्चे किसी न किसी जन्मजात दोष से ग्रसित हो जन्म लेते हैं। यह दोष बहुत तीव्र प्रकार का हुआ तो जन्म के तुरंत बाद 24 घंटों में शिशु की मृत्यु हो सकती है। यदि समय पर उपचार न मिले और जान बच भी जाए तो उनमें दिव्यांगता हो सकती है। ऐसे में शिशु सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रशिक्षक डॉ. रणंजय तिवारी ने बताया कि 1000 जीवित जन्मों के सापेक्ष लगभग 64 शिशु किसी न किसी जन्मजात दोष से ग्रसित होते हैं। ऐसे में दोष आते ही तत्काल उनकी पहचान करके उनका इलाज कराया जाय। कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी डॉ. देवेंद्र श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमरनाथ, जिला कम्युनिटी प्रोसेस प्रबंधक डॉ. आरपी ¨सह, डॉ. अमित कुमार, डॉ संत प्रताप, डॉ. किरन राव, मनीषा श्रीवास्तव मौजूद थे।