एचआइवी मरीजों का दर्द बढ़ा रहा सरकारी सिस्टम
विशेषज्ञ की तैनाती न होने से फिजीशियन दे रहे सलाह
गोंडा : आज विश्व एड्स दिवस है। एड्स पर नियंत्रण को लेकर वैसे तो प्रशासनिक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन, बीमार का बढ़ रहा प्रकोप परेशानी पैदा कर रहा है। गरीबी के कारण लोग अपने परिवार के भरण पोषण के लिए मुंबई, दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में जाकर रोजगार करते हैं। वहां पर अज्ञानता के चलते वह बीमारी लेकर आ जाते हैं। जब उनकी सेहत खराब हो जाती है तब जाकर बीमारी का पता चलता है। चिकित्सकों की मानें तो जिले में सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या बाहर रोजगार करने वाले लोग शामिल है। अब मरीजों की काउंसिलिग की जा रही है।
जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 से अब तक जिले में 2810 मरीज आए हैं। इसमें से 1340 की दवा चल रही है। 246 मरीज लापता है। वह कहां है, किस स्थिति में है, इसके बारे में जानकारी की जा रही है। 480 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। पहले एचआइवी मरीज के लिए अलग से परामर्शदाता की तैनाती थी लेकिन, उनके तबादले के बाद किसी की तैनाती नहीं की गई। ऐसे में यहां पर फिजीशियन के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. समीर गुप्ता का कहना है कि अब तक जो मरीज आए हैं, उसमें से अधिकांश में रोजी रोटी की तलाश में मुंबई, दिल्ली व हरियाणा जैसे हाईरिस्क क्षेत्र में जाने वाले लोग शामिल हैं। ऐसे में यह परदेसी रोग भारी पड़ रहा है। एसीएमओ डॉ. मालिक आलमगीर का कहना है कि एचआइवी की जांच जिला अस्पताल समेत अन्य स्वास्थ्य इकाइयों पर उपलब्ध है। चिकित्सक की कमी से परेशानी आ रही है। इसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है।