ओम नम: शिवाय :: परसपुर रियासत का शंकर मंदिर
अतिप्राचीन व प्रसिद्ध शंकर मंदिर परसपुर रियासत के राजा टोला ग्राम में स्थित है। कस्बा से इसकी दूरी मात्र पांच सौ मीटर है। इस मंदिर में कर्नलगंज-बेलसर-नवाबगंज मार्ग से टैक्सी व निजी साधन से भी पहुंचा जा सकता है।
बलरामपुर: अतिप्राचीन व प्रसिद्ध शंकर मंदिर परसपुर रियासत के राजा टोला ग्राम में स्थित है। कस्बा से इसकी दूरी मात्र पांच सौ मीटर है। इस मंदिर में कर्नलगंज-बेलसर-नवाबगंज मार्ग से टैक्सी व निजी साधन से भी पहुंचा जा सकता है। कोरोना के चलते इस बार कम संख्या में ही श्रद्धालु पूजन-अर्चन को पहुंच रहे हैं।
मंदिर का इतिहास
-परसपुर रियासत पांच सौ वर्ष पुराना है। इस रियासत के पहले राजा राम सिंह थे। सन 1860 में रियासत का विस्तार राजा रणधीर सिंह ने किया। राजा व महारानी जानकी कुंवरि इसी शंकर मंदिर में पूजा अर्चना करते थे। उस वक्त अयोध्या के अलावा आसपास में कोई मंदिर नहीं था। यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र था। मंदिर में विशाल शिवलिग के अलावा मां पार्वती व गणेश के साथ ही नंदी जी की प्रतिमा है। इसे देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। मंदिर का शिखर लोगों को बरबस श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। विशेषता
-मंदिर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परसपुर रियासत के राजमंदिर प्रांगण में दक्षिण की ओर बना हुआ है। मंदिर का शिखर दूर से ही दिखाई पड़ने लगता है। मंदिर के आगे सिंह द्वार बना हुआ है। इसे देखने के लिए तमाम लोग प्रतिदिन आते हैं। अगहन मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को भगवान राम का विवाह इसी शंकर मंदिर के सामने होता है। इसके चारों ओर सुरक्षा के लिए चहारदीवारी बनी है। जलाभिषेक के लिए वर्षों पुराने कुआं के अलावा हैंडपंप भी लगा हुआ है। ऊपर रखे कलश से शिवलिग पर जल टपकता रहता है।
मंदिर को लेकर लोगों में विशेष आस्था है। कोविड का पालन करते हुए लोग शिवलिग पर जलाभिषेक करते हैं। मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मुरादें भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं।
-राघवेंद्र पांडेय, पुजारी
समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर इसकी रंगाई पुताई कराई जाती है। मंदिर में शिवरात्रि, कजरीतीज व सावन मास में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। कोरोना महामारी के चलते इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कम है। भगवान भोलेनाथ सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।
-कुंवर विजय बहादुर सिंह बच्चा साहब, श्रद्धालु