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कभी बुझाती थी प्यास, आज वजूद पर खतरा

गोंडा : बहराइच के चित्तौरागढ़ झील से निकलकर टेढ़े मेढ़े आकार में प्रवाहित होने वाली टेढ़ी नदी बहराइच

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 07:30 AM (IST)
कभी बुझाती थी प्यास, आज वजूद पर खतरा
कभी बुझाती थी प्यास, आज वजूद पर खतरा

गोंडा : बहराइच के चित्तौरागढ़ झील से निकलकर टेढ़े मेढ़े आकार में प्रवाहित होने वाली टेढ़ी नदी बहराइच होते हुए गोंडा जिले में प्रवेश कर बालपुर, तरबगंज, नवाबगंज होते हुए पटपरगंज के रास्ते सरयू नदी में समाहित हो जाती है। जीवनदायिनी टेढ़ी नदी जो कभी अपने वेग में प्रवाहित होकर अपने गर्भ से पथरी, नउखन, सोती झीलें व चौबेपुर, चमदई, बगुलही नालों को जन्म देकर पशु, पक्षियों व इंसानों की प्यास बुझाने के साथ ही खेतों में हरियाली लाकर अपनी उपस्थिति का एहसास कराती रही हो, आज वह नदी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। नदी जगह-जगह सूख चुकी है। कहीं-कहीं नदी का स्वरूप तो दिखता है, लेकिन वहां पानी न होकर कीचड़ और सिल्ट भरा हुआ है। यदा कदा जहां थोड़ा बहुत पानी है भी तो वह सदाबहार जंगली घासों व जलकुंभी से पटा हुआ है। कई स्थलों पर लोगों ने अवैध कब्जा करके भवन निर्माण भी कर लिया है। इनसेट

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बुद्धजीवियों की बात

-अधिवक्ता त्रिलोकीनाथ तिवारी का कहना है कि गैर कानूनी तरीके से नदी के तटों पर अतिक्रमण हुआ है उसको तत्काल खाली किया जाना चाहिए, यदि जल्द फैसला नहीं हुआ तो न्यायालय में याचिका दाखिल की जाएगी। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश कुमार शुक्ल का कहना है कि टेढ़ी नदी को अविरल बनाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। युवा सुशील कुमार दुबे का कहना है कि लोगों को जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाना चाहिए कि लोग नदियों को गंदा न करें। कमलापति ओझा का कहना है की प्राचीन परंपराओं व मान्यताओं के अनुसार नदियां पूजनीय है, जिनको स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य है।


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