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सिस्टम की नाकामियों का सिला, तबाही के रूप में फिर मिला

तटबंध टूटते ही मच गया शोर बिफरे ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 10:53 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:05 AM (IST)
सिस्टम की नाकामियों का सिला, तबाही के रूप में फिर मिला
सिस्टम की नाकामियों का सिला, तबाही के रूप में फिर मिला

गोंडा : दोपहर में करीब ढाई बज रहे थे। ऐलीपरसौली के मजरे विशुनपुरवा में पानी की तेज आवाज सुनकर ग्रामीण तटबंध के करीब आ गए। थोड़ी देर में ही अचानक नदी तटबंध की सुरक्षा के लिए बनाए गए स्पर को बहा ले गई। जैसे-जैसे नदी तटबंध को अपने आगोश में लेती गई, वैसे-वैसे ग्रामीणों का गुस्सा सिचाई विभाग के इंजीनियरों पर बढ़ता चल गया। तटबंध टूटने की सूचना मिलते ही एसडीएम राजेश कुमार भी पहुंच गए। हर कोई अचानक टूटे तटबंध को देखकर हैरान था। सिचाई विभाग के अफसर भले ही इसे अचानक हुई घटना बता रहे थे, लेकिन ग्रामीणों का आरोप था कि ये सब लापरवाही के चलते हुआ है। तटबंध कटने के बाद नदी की कटान और तेज हो गई। कैलाश का निर्माणाधीन आवास भी कटान की भेंट चढ़ गया। थोड़ी देर में ही रामनाथ यादव का घर भी नदी में समा गया। देखते ही देखते नदी के आगोश में सैकड़ों एकड़ जमीन आ गई। भयभीत ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों पर पलायन शुरू कर दिया है। डीएम डॉ. नितिन बंसल ऐली परसौली गांव में कैंप कर रहे हैं।

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पिकनिक मनाने आते हैं इंजीनियर

- तटबंध कटने की सूचना मिलने पर करीब 4.45 बजे डीएम भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता व ग्रामीणों से जानकारी ली। नाराज ग्रामीणों का कहना था कि जानबूझकर गुरुवार को तटबंध के बचाव का कार्य बंद करा दिया गया। यहां अफसर तटबंध को बचाने के लिए नहीं, बल्कि पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। यदि लापरवाही नहीं हुई होती तटबंध नहीं कटता। रामदयाल, कमलेश का कहना था कि हम तो अब बेघर हो गए। कटान की जद में आने से सबकुछ बर्बाद हो गया।

खतरे में विशुनपुरवा का वजूद

- विशुनपुरवा में करीब 42 परिवार रहते हैं। यहां 162 की आबादी रहती है। तटबंध कटने के बाद तेज हुई कटान की जद में पांच से अधिक घर आ गए हैं। यदि कटान की रफ्तार यही रही तो आने वाले 24 घंटे में इस पुरवे का वजूद मिट सकता है। यहां के किसानों की फसलें भी नदी की धारा में समा गई हैं।

भिखारीपुर-सकरौर तटबंध किलोमीटर 17.6 के पास करीब 40-45 मीटर में तटबंध कटा है। अभी आबादी में पानी नहीं पहुंचा है। एहतियात के तौर पर विशुनपुरवा में रहने वाले 42 परिवारों के 162 व्यक्तियों को सुरक्षित जगह पर भेजा रहा है। उन्हें खाद्य सामग्री के साथ ही अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। बाढ़ का पानी आगे गांवों में न पहुंचे इसके लिए एक रिग बांध बनाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। जहां तक ग्रामीणों के लापरवाही का आरोप है तो वह जांच का विषय है। फिलहाल, अभी हमारा प्रयास आबादी को बाढ़ से बचाना है।

-डॉ. नितिन बंसल, डीएम गोंडा


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