चावल की रिकवरी, कुटाई मूल्य ने फंसाया पेच
गोंडा: किसानों से खरीदे जाने वाले सरकारी धान की कुटाई के लिए अब तक जिले में एक भी चा
गोंडा: किसानों से खरीदे जाने वाले सरकारी धान की कुटाई के लिए अब तक जिले में एक भी चावल मिलों से अनुबंध नहीं हो पाया है। पिछले वर्ष जिले के आठ राइस मिलरों द्वारा धान कुटाई का अनुबंध किया गया था लेकिन, इस बार एक भी अनुबंध नहीं हुआ। इतना ही नहीं, पांच राइस मिल संचालक मिलों का भौतिक सत्यापन कराने को भी नहीं तैयार हैं। ऐसे में सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीदे गए धान की कुटाई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके पीछे कुटाई मूल्य कम होने व चावल रिकवरी का प्रतिशत ज्यादा होने को कारण बताया जा रहा है। खाद्य एवं विपणन विभाग मिलों का सत्यापन न कराने वाले व अनुबंध से दूर भागने वाले मिल संचालकों के लाइसेंस के निलंबन के लिए पत्र लिख चुका है।
ये हैं राइस मिलर्स की समस्याएं
-राइस मिल संचालकों की मानें तो वर्ष 1999 में सरकारी धान की कुटाई के लिए दस रुपये प्रति ¨क्वटल उन्हें दिए जाने का प्रावधान किया गया था। 19 साल बाद भी 10 रुपये प्रति ¨क्वटल धान की कुटाई के लिए दिया जा रहा है, जो बहुत कम है। संचालकों की मांग है कि कम से 200 रुपये प्रति ¨क्वटल धान की कुटाई का भुगतान उन्हें किया जाए।
-हाईब्रिड धान की कुटाई में 67 प्रतिशत रिकवरी (एक ¨क्वटल धान की कुटाई में 67 किलो चावल) की डिमांड की जा रही है, जो संभव नहीं है। राइस मिलर्स का मानना है कि 60 से 62 प्रतिशत की रिकवरी की जाए।
-धान कुटाई के लिए प्रति केंद्र आठ लाख रुपये की बैंक गारंटी विभाग द्वारा ली जाती है। ऐसे में एक राइस मिल द्वारा कई धान क्रय केंद्र का अनुबंध होने पर लाखों रुपये की बैंक गारंटी देनी पड़ती है। इस गारंटी को समाप्त किया जाए।
जिम्मेदार के बोल
-जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी लाल बहादुर गुप्त का कहना है कि अभी तक केवल तीन मिल संचालकों द्वारा सत्यापन कराया गया है। जबकि अन्य पांच मिलों के मालिक भौतिक सत्यापन कराने से ही कतरा रहे हैं। ऐसे में पांच मिलों के लाइसेंस निलंबन के लिए पत्र लिखा गया है।