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वह देखव योगी बाबा आय गए, अब हमरो घर पक्का बनि जाए

गोंडा : दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे। इसी समय वन के किनारे बसे झुग्गियों के गांव के ऊपर

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 11:21 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 11:21 PM (IST)
वह देखव योगी बाबा आय गए, अब हमरो घर पक्का बनि जाए
वह देखव योगी बाबा आय गए, अब हमरो घर पक्का बनि जाए

गोंडा : दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे। इसी समय वन के किनारे बसे झुग्गियों के गांव के ऊपर आसमान पर नीले रंग का उड़नखटोला मंड़राने लगा। उसे देख गांव के 50 वर्षीय आशाराम खुशी से उछल पड़े। बोले वह देखव योगी बाबा आय गए, अब हमरो घर पक्का बनि जाए। पास ही खड़े राजाराम बोल पड़े भइया हमार दुइ पीढ़ी गुजर गइ लेकिन राशन कारड तक नाहीं बनि पावा, अब हमहू सबकय कारड बनी अऊ राशन भी मिली। बगल ही स्थित नल पर बर्तन धुल रही मुन्नी, रेखा व संतरा भी हेलीकाप्टर देख खुश हो उठीं। हों भी क्यूं न क्योंकि अब उनकी आगे की पढ़ाई भी सरकारी व्यवस्था से होगी। से जवने चीज कय इंतजार रहा अब ऊ पूरा होइ जाई। इसी बीच कुछ युवक मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर के साथ मोबाइल से सेल्फी बनाते नजर आए। वनवासी गांव के लोगों की यह खुशी यूं नहीं थी, देश की आजादी के 70 साल बाद जो नहीं मिला था, वह अब सब कुछ मिलने जा रहा था। पगडंडी के बजाय गांव तक पहुंच मार्ग पक्का बन जाएगा। साथ ही बैंकों में खाते खुल सकेंगे। जनप्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए वोट के अधिकार समेत सरकारी वह सारी सुविधाएं मयस्सर होंगी जिसके लिए यह वनवासी तरस रहे थे। सुविधाओं से वंचित गांव में मुख्यमंत्री के कदम पड़े तो गांववाले खुद को धन्य महसूस किए। सीएम योगी आदित्यनाथ का शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें दुआएं भी दी। मनीपुर, बुटहनी और रामगढ़ के लोगों में शुक्रवार को खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हर कोई मुख्यमंत्री की एक झलक पाने को बेताव दिखा।

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रामलखन से किस्मता तक ने लगाया हाथ-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गरीब की झोपड़ी में भोजन करना था तो इसको लेकर गत रात से ही प्रशासन चौकन्ना रहा। कोई कमी न रह जाए, इसलिए ताजी-हरी सब्जियां मंगवाई गयीं। ब्रांडेड दाल-तेल आदि की भी व्यवस्था हुई। भोजन बनाने से पहले और बनने के बाद विशेषज्ञों की टीम द्वारा चेक भी किया गया। यूं तो दर्शाया इस तरह गया कि आगंतुक इसे राजाराम की व्यवस्था समझें लेकिन हकीकत मौके पर नजर आयी। सब्जी काटने की शुरुआत रामपुर के रामलखन पांडेय और घनश्याम यादव ने किया तो आगे कार्य अन्य लोगों के साथ ही महिला किस्मता आदि ने किया। रसोईघर में मिट्टी का चूल्हा तो रहा लेकिन ज्यादा इस्तेमाल रसोई गैस का किया गया।


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