छुड़ा रहे नशे की लत, बांट रहे ज्ञान
बहराइच : सेहत चुस्त-दुरुस्त हो यह सपना सबका है। जाने- अनजाने में लोग कुछ ऐसी चीजों के आदी
बहराइच : सेहत चुस्त-दुरुस्त हो यह सपना सबका है। जाने- अनजाने में लोग कुछ ऐसी चीजों के आदी हो जाते हैं, जो उनके सेहत के लिए नुकसानदायक है। टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई द्वारा किए गए शोध में ऐसी बातें सामने आईं हैं। शहर के डिगिहा चौराहा स्थित दंत चिकित्सक डॉ. पुनीत मेहता मरीजों का उपचार करते हैं और उपचार के बाद उन्हें रिसर्च में प्राप्त हुए निष्कर्षों की जानकारी दे रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा इंस्टीट्यूट की किताबों को दिखाते हैं।
बकौल दंत चिकित्सक कई ऐसे मरीज आते हैं जो कोयले के चूरे से दांत साफ करते हैं। यह सिर्फ वहम है, इससे दांत खराब हो रहे हैं। यही नहीं लाल दंत मंजन का प्रयोग भी नुकसानदायक है। शोध पुस्तकों में इसका जिक्र है। वे बताते हैं कि खैनी का प्रयोग काफी तेजी से बढ़ा है। इसका सेहत पर बड़ा दुष्प्रभाव है। दंत चिकित्सक बताते हैं कि दांतों के मरीजों की संख्या गुटखा, खैनी और पान-मसाला को लेकर बढ़ रही है। शुरुआती दौर में दांत गंदे हो जाते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि यह नशा मरीज को अपना मानसिक रूप से गुलाम बना लेता है। वे कहते हैं कि उदाहरण के तौर पर लाल दंत मंजन की पहुंच अधिकतर घरों में है, लेकिन इंस्टीट्यूट के शोध में यह नुकसानदायक बताया गया है। जागरूकता के अभाव में लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। पढ़े-लिखे मरीज जब टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च की किताबों को देखकर पढ़ते हैं तो उनमें इस चीज को लेकर जागरूकता बढ़ती है। फिलहाल दंत चिकित्सक की यह पहल मरीजों को जागरूक कर रही है।