कागजों की बुझ रही प्यास, उम्मीदें हुई पानी-पानी
गोंडा : सरयू नहर परियोजना को लेकर संचालन के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन उम्मीदें अभी अधूरी हैं। कहीं
गोंडा : सरयू नहर परियोजना को लेकर संचालन के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन उम्मीदें अभी अधूरी हैं। कहीं माइनर अधूरी हैं, तो कहीं रजवाहे में पेड़ व झाड़ियां हैं। कर्नलगंज तहसील क्षेत्र में यह हाल है।
परसपुर : तीन दशक पूर्व सरयू नहर खंड एक ने तरबगंज शाखा बनाई थी। ये नहर परसपुर के सेमरी, त्योरासी, लोहंगपुर, सुसुंडा व मंगुरा बाजार गांव के बीच से होकर निकाली गयी है। नहर की सफाई वर्ष 2016 में कराई गई। दुर्जनपुर व गंगरौली रजवाहा की सफाई नही कराई गई। जिसमें बबूल के पेड़ व जंगली झाडियों ने डेरा जमा लिया है। हलधरमऊ : बालपुर हजारी माइनर का वर्ष 2000 में निर्माण शुरु हुआ था। परसागोंडरी, पूरेसंगम, विरतिया,छिटनापुर होते हुए निकली थी, नहर के रास्ते में कई जगह पुलिया गैप है तो कहीं खुदाई ही नही हुई है। शुरुआती दौर में किसानों के खेतो का सस्ते दामों पर अधिग्रहण हो गया इसलिए खेती करने से वंचित हो गए और बगल खेत को पानी भीनही मिल सका है। इसके अलावा सालपुर धौताल,सोनहरा व कैथोला मे बनी नहर सूखी पड़ी है।
कटराबाजार : सरयू नहर परियोजना किसानों के लिए अभिशाप बन गयी है। खेत तो चला ही गया, लेकिन अभी माइनरों में नहर का एक बूंद पानी नहीं आया। कर्नलगंज : क्षेत्र की नहरें अधूरी पड़ी हैं। पानी तो दूर सफाई तक नहीं हुई है। कागजों में ¨सचाई की व्यवस्था चल रही है।