आतंकवाद को उसी भाषा में दें जवाब
गोंडा : पुलवामा में हुए हमले को लेकर जहां पूरे देश में गम और गुस्सा है वहीं सैनिक परिवारों को भी अपन
गोंडा : पुलवामा में हुए हमले को लेकर जहां पूरे देश में गम और गुस्सा है वहीं सैनिक परिवारों को भी अपने घर के चिरागों को लेकर ¨चता है। उनकी राय है कि जवानों को बराबर हौसला देने के साथ उन्हें स्वतंत्र रखा जाय।
परसा गोंडरी के मेजरपुरवा निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार शिवकुमार तिवारी के दो बेटे भी सेना में सेवा दे रहे हैं। एक बेटा सुनील तिवारी आर्डिनेंस कोर में तो दूसरा सुशील तिवारी जम्मू श्रीनगर में तैनात है। सुशील ने घर पर फोन से बताया कि जिस सड़क पर हमला हुआ है उस पर वह कई बार जा चुके हैं। शिवकुमार तिवारी ने जब वहां की घटना सुनी तो दिल दहल गया। तुरंत फोन कर कुशलक्षेम जानी। शिवकुमार ने कहा कि घटना के चंद दिनों बाद लोग भूल जाते हैं। पाक के अंदर घुसकर हमला करना चाहिए। सुशील की पत्नी नीलू व सुनील की पत्नी कंचन का कहना है कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।
भैरमपुर निवासी ओमप्रकाश का एक बेटा राजकुमार चौबे, दूसरा अरुण कुमार चौबे भी सेना में हैं। परिवारजन का कहना है कि जो देश की रक्षा करता है उसकी भी रक्षा के लिए पूर्ण बंदोबस्त होना चाहिए। सरकार इस बिना समय गंवाए ईंट का जवाब पत्थर से दे। भाई विनोद चौबे ने कहा कि जब से सेनाओं का राजनीतिकरण होना शुरू हुआ है तब से उनके मनोबल पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है।
झलिया गांव निवासी पूर्व सैनिक जय शुक्ल का कहना है कि क्या टैंक और मिसाइलें स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की परेड के लिए ही हैं। उनके इस्तेमाल का समय आ चुका है।