यहां तो टीबी मरीजों को भी नहीं मिल रहा हक
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गोंडा: सरकार की मंशा है कि क्षय रोग को अतिशीघ्र समाप्त कर दिया जाए। इसके लिए विभाग मरीजों को प्रोत्साहन के तौर पर 500 रुपये हर माह देता है। बावजूद इसके यहां पर लापरवाही की स्थिति यह है कि जिले में 1374 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें अस्पताल आने के लिए मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह मरीज इधर से उधर चक्कर काटने को विवश हैं।
क्षय रोगियों का इलाज जिला अस्पताल के साथ ही अन्य 15 इकाइयों पर होता है। वहां पर ओपीडी में आने वाले मरीजों में से अगर किसी में बीमारी का लक्षण दिखता है तो, उसकी बलगम जांच कराई जाती है। इसके बाद यह पता चलता है कि कौन मरीज क्षय रोग से ग्रसित है। इसके बाद उसका विवरण निक्षय पोषण योजना के पोर्टल पर दर्ज किया जाता है। इसी आधार पर उसके इलाज तक उसे 500 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस योजना के तहत पोर्टल पर 3563 मरीज पंजीकृत हुए। इसमें से 2431 के खाते में पैसा भेजा जा चुका है। पिछले 15 दिनों से पोर्टल के उस मॉड्यूल को बंद कर दिया गया है, जिसके माध्यम से मरीजों के खाते में पैसा भेजा जाता है। मॉड्यूल बंद होने के कारण न तो खाते का विवरण अपडेट हो पा रहा है न ही भुगतान हो पा रहा है। इस कारण शेष मरीज चक्कर काट रहे।
कुछ में खाते की समस्या: कई मरीज ऐसे हैं, जिनका खाता अभी तक अपडेट नहीं है। कुछ का खाता तक नहीं खुला है, जिससे समस्या आ रही है। ऐसे में समस्या कम नहीं हो रही है।
जनवरी से जुलाई तक के आंकड़े एक नजर में
क्षय रोग क्लीनिक की ओपीडी में आए कुल मरीज- 404748
रोगियों की बलगम जांच- 16108
जांच में निकल कर आए टीबी के मरीज- 3805
निक्षय पोषण अभियान से मरीजों को हुआ भुगतान- 2431
क्या कहते हैं अफसर
-जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मलिक आलमगीर का कहना है कि क्षय रोगियों को दवा के साथ ही प्रोत्साहन राशि दी जाती है। कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण इसमें समस्या आ रही है, जल्द ही इसे दूर कर लिया जाएगा।