जिला अस्पताल से 600 मरीज लापता
तीमारदारों से जुटाई जा रही जानकारी चित्र परिचय 2 जीएनडी 25 संसू गोंडा अस्पताल आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों से फीड बैक लेने का काम तेज हो गया है। हेल्प डेस्क के कर्मियों ने वार्डों में जाकर जानकारी एकत्र की है। जिसमें उनसे सुविधाओं को लेकर सवाल किए गए हैं। इसे अपर निदेशक को दिया जाएगा। हेल्प डेस्क प्रबंधक अनिल कुमार ने बताया कि अधिकारियों के निर्देश पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। जिसमें पेयजल से लेकर दवाओं तक की उपलब्धता कार्य व्यवहार सहित अन्य बिदुओं पर जानकारी एकत्र की जा रही है। कुछ तीमारदारों से बात की गई है। उनका फीडबैक आया है। जिसे जल्द ही अपर निदेशक को दिया जाएगा। जिसके आधार पर अस्पताल की सुविधाओं को और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा।
नंदलाल तिवारी, गोंडा: कहते हें कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, इसी मंशा के साथ बीमारी से जूझ रहे लोग इलाज की आस में अस्पताल पहुंच रहे हैं। यहां पर इलाज कम, फटकार ज्यादा मिल रही है। कभी समय से डॉक्टर नहीं बैठ रहे हैं तो कभी मरीजों से बाहर की दवाएं मंगवाई जा रही है। यही नहीं डिस्चार्ज करने के लिए भी पैसे की मांग की जाती है। इस आशय की शिकायतें आ चुकी है। बावजूद इसके सुधार नहीं हो रहा है। नतीजन मार्च में 700 मरीज भर्ती होने के बाद बिना डिस्चार्ज हुए ही लापता हो गए।
मंडल मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में कुल 174 बेड है। यहां पर नाक कान व गला रोग को छोड़ दें तो अन्य बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सक है। अस्पताल का बेड फुल है, जिससे मरीजों को भर्ती करने में मुश्किल हो रहा है। मार्च में 700 मरीजों के लापता होने का मामला आया है। हालांकि इसके पीछे बताया जाता है कि कुछ मरीज बिना बताए चले जाते हैं, जबकि कुछ तीमारदार अपनी जिम्मेदारी पर मरीजों को लेकर जाते हैं। इनका रिकॉर्ड एकत्र किया जाता है। लापता मरीजों के बाबत अस्पताल को पुलिस को सूचना देनी चाहिए लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हो रहा है। प्रभारी सीएमएस डॉ. वीसी गुप्ता का कहना है कि इससे मरीजों को पुलिस परेशान करेगी, इसे देखते हुए मानवता के नाते यह जानकारी नहीं दी जाती है। हां मेडिको लीगल के मामले में पुलिस को जरूर बताया जाता है।
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फैक्ट फाइल
मार्च में कुल भर्ती- 2300
डिस्चार्ज मरीज- 1287
बिना बताए गए मरीज- 700
मृत्यु- 88
रेफर- 174
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क्या है वजह
समय से इलाज न मिलना, स्टॉफ का व्यवहार मरीजों के प्रति सही न होना, बाहर की दवाएं, डॉक्टरों के पास बाहरी लोगों का रहना। जांच में होने वाली परेशानी, डिस्चार्ज के समय भी पैसे की मांग करना। इस तरह की शिकायतें आए दिन अधिकारियों के पास आती रहती हैं।
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जिम्मेदार के बोल
हां, यह बात गंभीर है। अब हम स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी जुटा रहे हैं। सभी को कहा गया है कि मरीजों को बेहतर सुविधा दी जाय, जिससे कोई दिक्कत न हो। हरेक मरीज के इलाज पर ध्यान दिया जाएगा।
- डॉ. रतन कुमार, अपर निदेशक स्वास्थ्य