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नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन-अर्चन

जागरण संवाददाता गाजीपुर नगर सहित ग्रामीण इलाकों में नवरात्र के तीसरे दिन गुरुवार को मां

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 04:43 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 04:43 PM (IST)
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन-अर्चन
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन-अर्चन

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : नगर सहित ग्रामीण इलाकों में नवरात्र के तीसरे दिन गुरुवार को मां चंद्रघंटा विधिपूर्वक पूजी गईं। भक्तों ने सभी देवी मंदिरों में पूजन-अर्चन कर परिवार के मंगल की कामना की। जयकारे से घर और आंगन गुंजायमान रहे। श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन कर कोरोना की समाप्ति की मन्नतें मांगगी। वहीं बाजारों में पूजा सामग्री की खरीदारी होती रही।

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नगर के गोराबाजार, मिश्र बाजार, महुआबाग, लालदरवाजा, चीतनाथ एवं नवाबगंज आदि देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। भक्तों ने मां के पूजन-अर्चन कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। गहमर : मां कामाख्या धाम मंदिर परिसर मे मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का दर्शन पूजन करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते कोविड-19 के नियम तार-तार हो गया। मां के दरबार में हजारों-हजारों भक्तों ने अपनी हाजिरी दर्ज कराई। मां कामाख्या का दर्शन पूजन करने के बाद भक्त मां काली, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और भैरोनाथ मंदिरों पर मत्था टेक परिक्रमा की। तेज धूप के कारण लाइन में लगे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कत हुई। तेज धूप के बावजूद भक्त श्रद्धाभाव से मां के दर्शन पूजन के लिए एक से डेढ़ घंटे लाइन में श्रद्धाभाव से खड़े रहे। पुजारी राजु शुक्ला के अनुसार इनकी आराधना से साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना से प्राप्त होने वाला एक बहुत बड़ा सद्गुण यह भी है कि साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता है। उसके मुख, नेत्र तथा सम्पूर्ण काया में कांति वृद्धि होती है एवं स्वर में दिव्य-अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। क्रोधी, छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाने और तनाव लेने वाले तथा पित्त प्रकृति के लोग मां चंद्रघंटा की भक्ति करें। खानपुर : देवी धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ माता के जयकारे लगाते हुए मंगलकामना के साथ सम्पूर्ण जगत के आरोग्य की कामना कर रहे थे। पंडित रामधनी त्रिपाठी बताते है कि मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण है। इनकी आराधना से वीरता निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का फल प्राप्त होता है। माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है और माता के तीन नेत्र दस भुजाएं हैं। इनके कर कमल, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं। अग्नि जैसे वर्ण वाली ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी शेर पर आरूढ़ है। माता के पूजन से देवी भक्त विकास मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति गुण का उपहार पाता है। गुड़हल के फूल माला से प्रसन्न होने वाली माता अपने भक्त के स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।

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महादेवा दुर्गा मंदिर में कलश स्थापित कर हो रही मां की स्तुति

मुहम्मदाबाद : नगर के शाहनिदा स्थित मां काली मंदिर पर सुबह महिलाएं पहुंचकर धार अर्पित कर पूजन-अर्चन कीं। महादेवा स्थित मां दुर्गा मंदिर में आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी की ओर से कलश स्थापित कर पूजन-अर्चन किया जा रहा है। यूसुफपुर महाकाली मंदिर, नवापुरा मोड़, सलेमपुर मोड़ व तिवारीपुर मोड़ स्थित मां दुर्गा मंदिर में सुबह-शाम श्रद्धालु पहुंचकर दर्शन-पूजन कर रहे हैं। तहसील परिसर स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर में सुबह शाम होने वाली आरती में लोग शामिल होकर कृपा अर्जित करने में लगे हैं।

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मां का ध्यान लगाने से प्राप्त होती है सुख-समृद्धि

मनिहारी : सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा मां काली धाम हरिहरपुर में महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज के संरक्षण में आयोजित नवरात्र महोत्सव में आधात्म की गंगा बह रही है। काशी के विद्वान ब्राह्मणों के यज्ञ कुंड में स्वाहाकार से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज ने अमृतमयी प्रवचन करते हुए कहा कि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इसे तप का आचरण करने वाली भी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की अराधना करने से भक्तों की तप शक्ति बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि जो माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना श्रद्धा से करता है, उसकी इंद्रिया उनके नियंत्रण में रहती हैं। मां की तपस्या या ध्यान लगाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही हर प्रकार का भय दूर होता है। जहां पर प्रेम होता है, वहां शांति होगी। प्रेम का बहुत बड़ा मूल्य है जिस परिवार में प्रेम होगा, उस परिवार में शांति होगी। ठीक इसी प्रकार जिस समाज व राष्ट्र में प्रेम होगा वहां शांति रहेगी। इस अवसर पर आचार्य सुरेश चंद्र तिवारी, आचार्य संजय पांडेय, आचार्य बालकृष्ण पांथरी जी, रामानंद ब्यास, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, मनोज शास्त्री, सतीश अग्रिहोत्री, शांतेश्वर मिश्र, आशुतोष शास्त्री, बृजेन्द्र पांडेय, मनोहर शास्त्री आदि थे।


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