रोजगार के नाम पर मनरेगा पर बढ़ा श्रमिकों का दबाव
गाजीपुर गैर प्रांतों से आने वाले श्रमिकों को भी मनरेगा में रोजगार देने का सरकार का निर्देश अब भारी पड़ रहा है। गांवों में हालत एक अनार सौ बीमार.वाली हो गई है। मनरेगा में वह स्थानीय श्रमिक भी काम करना चाहते हैं
जासं, गाजीपुर : गैर प्रांतों से आने वाले श्रमिकों को भी मनरेगा में रोजगार देने का सरकार का निर्देश अब भारी पड़ रहा है। गांवों में हालत एक अनार सौ बीमार वाली हो गई है। मनरेगा में वह स्थानीय श्रमिक भी काम करना चाहते हैं जो पहले इससे भगाते थे। ऊपर से कोरोना संक्रमण के चलते बाहरी श्रमिकों के आने से काम कम पड़ जा रहा है। इसको लेकर रोज तू-तू मैं-मैं हो रही है। यहां तक कि ग्राम प्रधान साफ मजदूरों को काम देने से मना कर रहे हैं। सरकार और जिला प्रशासन के दावे और जमीनी हकीकत में तनिक भी सच्चाई नहीं है।
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बोले ग्राम प्रधान
हमारे ग्रामसभा में लगभग तीन सौ जॉबकार्ड धारक हैं। फिलहाल 65 से 70 श्रमिक काम कर रहे हैं। सभी को एक साथ काम देना संभव नहीं है। वर्ष भर में प्रत्येक श्रमिक को 100 दिन का काम देना है। बारी-बारी से सभी को काम दिया जा रहा है। नए कार्यों का सृजन हो रहा है। वर्ष भर में सभी को मानक के अनुसार काम दे दिया जाएगा। - रबिद्र यादव, ग्राम प्रधान देवकठियां बिरनो।
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इस समय मनरेगा में काम करने वाले मजदूर बढ़े हैं। उन्हें रोजगार देने के लिए नए कार्यों का सृजन किया जा रहा है। नई सड़कें बनाई जा रही हैं और नाला आदि की खोदाई की जा रही है। गांव में डेढ़ सौ श्रमिक पंजीकृत, इस समय कुछ को छोड़कर सभी को काम मिल रहा है। बारी-बारी से सभी को पर्याप्त रोजगार दिया जाएगा।
- राजकुमार सिंह, ग्राम प्रधान सेमऊर बाराचवर।
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हमारे गांव में साढ़े तीन सौ जॉबकार्ड धारक श्रमिक हैं। उन्हें रोजगार देने के लिए बड़े काम सृजित किए जा रहे हैं। जैसे.नहरों की सफाई, ताल में पोखरी की खोदाई आदि। श्रमिक एक साथ ही काम करना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं है। सभी को बारी-बारी से पर्याप्त काम दिया जा रहा है।
-रमाकांत पांडेय, ग्राम प्रधान, खजुहां कासिमाबाद
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फैक्ट फाइल
कुल निर्गत जाबकार्ड धारकों की संख्या : 334257
- सक्रिय जाबकार्ड धारकों की संख्या : 151562
- जारी किए गए नए जाबकार्डों की संख्या : 23150
- जारी किए गए नए जाबकार्ड में श्रमिक : 35497
- कार्य कर रहे श्रमिकों की संख्या : 101382
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इस समय मनरेगा में काम करने वालों की संख्या अधिक हो गई है। बहुत से लोग इसे रोजगार के रूप में ले रहे हैं और मन से काम कर रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर मजदूरी लेना चाहते हैं। एक श्रमिक को एक दिन में 70 घन फिट मिट्टी खोदना है।
- दिलीप सोनकर, उपायुक्त श्रम रोजगार।