किशोरियां कर रहीं रामलीला
जागरण संवाददाता खानपुर (गाजीपुर) क्षेत्र के सिधौना में किशोरियां और बालिकाएं घरेलू रा
जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : क्षेत्र के सिधौना में किशोरियां और बालिकाएं घरेलू रामलीला का मंचन कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहीं हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए रामलीला समितियों और दुर्गापूजा आयोजकों द्वारा सभी सामूहिक आयोजन रद कर दिए जाने के बाद सीमित संख्या के बीच मानकों को पूरा करते हुए इस तरह के आयोजन की लोगों में खूब चर्चा है।
इस त्योहार के सीजन में बच्चों और बुजुर्गों का बाहर जाना भी प्रतिबंधित किया गया है। ग्रामीण इलाकों में मंचन, मेला, पंडाल और मनोरंजन के प्रमुख केंद्रों पर बच्चों की आनंदित भीड़ अनायास ही उमड़ती है। सार्वजनिक आयोजन बंद होने से मायूस और उदास बच्चों के लिए सिधौना गांव की कुछ किशोरियों ने खुद के मनोरंजन के लिए राम लक्ष्मण और सीता का रूप धर लिया। आसपास की दर्जन भर छोटी छोटी बालिकाओं ने भी शामिल होकर पूरे रामलीला के पात्रों का रंग रूप धर अपने दरवाजे पर रामलीला के छोटे मोटे प्रसंगों को दर्शाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते गांव के बड़े बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए पहुंचने लगे। सबसे अनोखी बात है कि सार्वजनिक मंचों पर जहां सिर्फ पुरुषों द्वारा रामलीला का मंचन होता है, वहीं सिधौना के बाल रामलीला में किशोरियां ही सभी चरित्रों को निभा रहीं हैं। बच्चों के साज श्रृंगार के लिए गांव की महिलाएं स्वेच्छा से अपने मेकअप के सामान, साड़ी चुनरी और आभूषणों को सहर्ष दे कर आनंदित हो रहीं हैं। नवरात्रि के पहले दिन खेल-खेल में शुरू किया गया बच्चों का यह कार्यक्रम गांववालों के उत्साहवर्धन से विजयादशमी तक चलाने का निर्णय लिया गया है। हेमा सिंह, कृष्णा सिंह, सुनीता कनौजिया सहित दिव्या, रीना, गीतांजलि, रूपांजली, अनन्या, श्रेया आदि किशोरियां शामिल होतीं है। घरेलू सामानों के संयोजन से ही कलाकारों का पौराणिक पोशाक तैयार किया जाता है। गांव वालों ने बच्चियों के उत्साह को देखकर प्रकाश और जरूरी सामानों का व्यवस्था बनाया।
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यह है कहना लोगों का
- सिधौना के साहित्यकार रामजी सिंह बागी कहते है कि इन किशोरियों ने अपने कलाकारी और उत्सवधर्मी प्रयास से यह साबित कर दिया कि कला संस्कृति और आध्यात्मिक गतिविधियों में देश की युवा पीढ़ी आज भी सम्मोहित है। पूर्वाचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष दयाशंकर मिश्रा ने इन बाल कलाकरों को बधाई देने के साथ ही कहते हैं कि नवरात्रि में देव स्वरूप कन्याओं ने अपने कलाकारी और प्रयोगधर्मी प्रयास से लोगों को रामायण का अद्भुत दर्शन कराया है।