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कामना बेटों की, फिर भी जन्म लेती हैं बेटियां

कवयित्री अनुश्री श्री के प्रथम काव्य संग्रह लड़ियां. तुम्हारे नाम।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 08:06 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 08:06 PM (IST)
कामना बेटों की, फिर भी जन्म लेती हैं बेटियां
कामना बेटों की, फिर भी जन्म लेती हैं बेटियां

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : कवयित्री अनुश्री, श्री के प्रथम काव्य संग्रह 'लड़ियां. तुम्हारे नाम की' का लोकार्पण समारोह आदर्श इंटर कालेज महुआबाग में रविवार को हुआ। कवयित्री रश्मि शाक्य ने कहा कि अनुश्री की कविताओं का केंद्रीय विषय स्त्री है। प्रेम में डूबी हुई एक खुद्दार स्त्री। ये कविताएं प्रेम की एक ऐसी लोरी की तरह हैं जो सम्मोहित ही नहीं करतीं, बल्कि जगाने का काम भी करती हैं।माधव कृष्ण ने कहा कविता और प्रेम एक दूसरे की पर्यायवाची हैं। मुख्य वक्ता डा. प्रतिभा सिंह ने कहा कि हमारे समाज में यह धारणा है कि लड़कियां जन्म नहीं लेंगी, हमेशा लड़के के जन्म की ही कामना की जाती है, लेकिन फिर भी वो जन्म लेती हैं। मुख्य अतिथि डा. विनय कुमार दुबे ने कहा कि नारी जीवन का केंद्र है। विशिष्ट अतिथि रहे डा. अनिल कुमार सिंह ने कहा यह पुस्तक कवयित्री के विचारों का प्रतिफल है। अध्यक्षता डा. विमला मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में रामनगीना कुशवाहा, पूजा राय ,संजीव गुप्त, रविद्र श्रीवास्तव, गोपाल गौरव, अमरनाथ तिवारी, कुमार प्रवीन, डा. संतन कुमार, मंजू रावत, मंजू वर्मा, सुनीता सुरभि, अनिल कुमार कुशवाहा, नवनीत पुष्परस आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे। पुस्तक लोकार्पण के पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। अध्यक्षता डा. विमला मिश्रा भूतपूर्व प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इंटर कालेज रहीं।

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