50 बीघे खेत में खराब हो रहा तरबूज
गहमर (गाजीपुर) कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लाकडाउन है वहीं सायर के तरबूज किसान अपनी फसल को बाजार में बेचने को लेकर परेशान हैं। किसान दस से बारह हजार रुपये प्रति बीघा पर मालगुजारी खेत
जासं, गहमर (गाजीपुर) : कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है, वहीं सायर के तरबूज किसान अपनी फसल को बाजार में बेचने को लेकर परेशान हैं। किसान दस से बारह हजार रुपये प्रति बीघा पर मालगुजारी खेत लेकर खीरा, ककड़ी, तरबूज, नाशपाती आदि की खेती किए हैं। तरबूज तैयार हो गई। अब वे व्यापारियों का इंतजार कर रहे हैं, जबकि व्यापारी लॉकडाउन की वजह से नहीं आ रहे हैं। इसका प्रभाव उनके कारोबार पर सीधा पड़ा है। आखिर इन तरबूजों व सब्जियों का किसान क्या करें। किसानों के अनुसार एक बीघा खेत में लगभग 20 से 25 हजार रुपये का लागत लगाकर 50 से 60 हजार का मुनाफा हो जाता था। पर इस बार लगता है हमारी फसल खेतों मे ही सड़ जाएगी। यहां से भदौरा, गहमर, दिलदारनगर, जमानियां, गाजीपुर, मुगलसराय, वाराणसी, बिहार प्रदेश के बक्सर, चौसा, रामगढ़, सासाराम, भभुआ, सिवान तक बाजारों में तरबूज जाती हैं।
सायर के किसान ओमप्रकाश यादव, विष्णुदेव यादव, मुखलाल चौधरी, परशुराम चौधरी, छेदी कुशवाहा तीन हेक्टेयर में तरबूज की खेती किए हैं। उन्होंने ने बताया कि अगर समय से बाजार नहीं खुला तो हमारी पूंजी डूब जाएगी। परिवार के भरण-पोषण का यही एक माध्यम है। प्रशासन को तरबूज व सब्जी बेचने के लिए छूट देनी चाहिए। किसान रामबहादुर सिंह, गुड्डू यादव, दहाड़ी चौधरी, रामकेश चौधरी, ने बताया कि 8-8 बीघा में तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी की फसल उगाए हैं। बाहर से व्यापारी आकर तरबूज ले जाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से नहीं आ रहे हैं। किसान लक्ष्मण यादव के अनुसार लॉकडाउन से तरबूज की खेती बर्बाद हो गई है। तरबूज की पांच हेक्टेयर खेती बड़ी उम्मीद के साथ किए हैं, लेकिन लग रहा है कि इस बार पूंजी डूब जाएगी। परिवार के भरण-पोषण की चिता है। तरबूज की खेती इस उम्मीद के साथ किया था कि अच्छी-खासी कमाई हो जाएगी लेकिन लेकिन लॉकडाउन की वजह से बाहर से व्यापारी नहीं आएंगे तो तरबूज खेत में ही बर्बाद होगी।