एकात्मक भाव की कमी से भेदभाव का शिकार हो रहा व्यक्ति
गाजीपुर : राजकीय महिला महाविद्यालय में सोमवार को दर्शनशास्त्र विभाग में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद द्वारा अनुदानित व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक Þभारतीय संस्कृति में निहित मौलिक मूल्य एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका' था।
जासं, गाजीपुर : राजकीय महिला महाविद्यालय में सोमवार को दर्शनशास्त्र विभाग में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद द्वारा अनुदानित व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक भारतीय संस्कृति में निहित मौलिक मूल्य एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका' था। कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी ¨हदू विश्वविद्यालय से प्रो. एके राय ने भारतीय संस्कृत के उदात्त तत्व विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति और संस्थाओं के मध्य गत्यात्मक संबंध के माध्यम से समाज में मूल्यों की स्थापना की गई। बताया कि किस प्रकार से जिन मानवीय मूल्यों को मनुष्य चाहते हुए भी अंगीकार नहीं कर पा रहा। उसे संवारने संभालने में संस्थाएं मददगार साबित हो रही हैं। संस्कृति मानव जीवन को संभव व सफल बनाती है। डिजिटल क्रांति को वरदान बताते हुए प्रोफेसर राय ने कहा कि इसने विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया और केंद्रीकरण को न्यूनतम करने में अपना महती योगदान दिया है। प्रो. डीएन तिवारी ने मानव जीवन के ऋणों से उर्तीण होने का संदेश दिया, जिससे समाज में इति कर्तव्यता का बोध विकसित हो। प्रो. तिवारी ने बताया कि एकात्मक भाव की कमी से व्यक्ति, व्यक्ति से दूर होता जा रहा है और सामाजिक विषमता, भेदभाव का शिकार हो रहा है। जबकि संपूर्ण सृष्टि में एक ही परमतत्व की ज्योति प्रज्ज्वलित है। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सविता भारद्वाज ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल तत्व एकत्व भाव है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति 'जय जगत'को स्वीकार करती है, विश्व बंधुत्व को स्वीकार करती है। व्याख्यान माला के आयोजक डॉ अमित यादव ने कहा कि भेदों में भी अभेद निहित है। समस्त भेद इस कारण है कि मनुष्य ने अपने चारों तरफ एक घेरा बना रखा है और उसे ही संपूर्ण मान लिया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राएं, विभिन्न विभागों के शोध छात्र, अध्यापक गण रहे।