वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल मौत को निमंत्रण
वाराणसी प्लान.. वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल मौत को निमंत्रण
जासं, गाजीपुर : पैदल चलते समय हेडफोन लगाकर सड़क पर चलना व वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल जान जोखिम में डालना है। फैशन बन चुकी यह आदत जान पर बन आई है। बावजूद इसे लेकर गंभीर न होना हैरत की बात है। वाहन चलाते वक्त तेज आवाज में म्यूजिक घातक है तो सहयात्रियों से बात करने के चलते ध्यान भटकना लाजिमी। यह खुद को मौत के मुंह में ढकेलने जैसा है। विशेषज्ञों ने वाहन चालकों व सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों को ऐसा न करने व सर्तकता बरतने की राय दी है। खुद ऐसा न करें, दूसरों को भी इसकी राय दें।
वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग चालक का ध्यान वाहन-चालन से हटा देता है एवं सड़क पर होने वाली किसी भी खतरनाक स्थिति का सामना करने की क्षमता को प्रभावित कर देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अध्ययन में पाया गया है कि वार्तालाप और पाठ संदेश दोनों ही एक वाहन चालक के चालन निष्पादन को कम कर देती है। काननून प्रतिबंधित होने के बाद भी अक्सर सड़क पर लोग इसका प्रयोग करते देखे जाते हैं जो घातक सिद्ध होती है। आधुनिक युग में एडवांस दिखने की कोशिश में लोग अपनी ¨जदगी दांव पर लगा रहे हैं। अक्सर इस तरह के हादसों में लोगों की मौके पर मोैत हो जाती है तो कुछ अस्पताल में दम तोड़ देते हैं। कई मामलों में लोग ¨जदगी भर के लिए अपंग हो जाते हैं। यातायात विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इस वर्ष के बीते जनवरी माह से लेकर अभी तक मोबाइल पर बात करने वाले करीब 40 दो पाहिया चालक अपनी जान गंवा चुके हैं। यही नहीं सड़क पर पैदल चलते समय हेडफोन लगाने वाले 15 की मौत तो दस लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
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मोबाइल पर बात करते समय वाहन चलाने वाले दो पहिया चालकों का चालान तो ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटा जाता है। इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। यही नहीं, यातायात माह के दौरान जहां पोस्टर का वितरण किया जाता है वहीं विद्यालयों व कालेजों के छात्रों को जागरूक करने का भी काम किया जाता है। चार पहिया वाहनों में तेज आवाज में म्यूजिक बजाने वाले चालक पर खास नजर भी रखी जाती है।
- सुधीर कुमार त्रिपाठी, यातायात प्रभारी।