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घर पहुंचाने से पहले ही वसूल लिए टिकट के दाम

गाजीपुर मेहसाणा (गुजरात) से चली स्पेशल (श्रमिक) ट्रेन मंगलवार की शाम करीब साढ़े चार लगभग 1200 श्रमिकों को लेकर गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पहुंची। यात्रियों को पहुंचाने से पहले ही उनसे 910 रुपये टिकट के दाम मेहसाणा स्टेशन पर वसूल लिए गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 06:50 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 06:04 AM (IST)
घर पहुंचाने से पहले ही वसूल लिए टिकट के दाम
घर पहुंचाने से पहले ही वसूल लिए टिकट के दाम

जासं, गाजीपुर : मेहसाणा (गुजरात) से चली स्पेशल (श्रमिक) ट्रेन मंगलवार की शाम करीब साढ़े चार लगभग 1200 श्रमिकों को लेकर गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पहुंची। यात्रियों को पहुंचाने से पहले ही उनसे 910 रुपये टिकट के दाम मेहसाणा स्टेशन पर वसूल लिए गए। ट्रेन में जिले के 140 एवं अन्य जिलों के 1060 श्रमिक आए थे। ट्रेन से आए मजदूरों को थर्मल स्कैनिग के बाद रोडवेज की बसों से अन्य जिलों को रवाना कर दिया गया। वहीं जिले के मजदूरों का नाम एवं पता नोट कर उनके घरों को भेज कर कर क्वारंटाइन कर दिया गया।

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मेहसाणा से आई ट्रेन शाम करीब साढ़े चार बजे सिटी रेलवे स्टेशन पहुंची। ट्रेनों से उतरते ही उनको शारीरिक दूरी का पालन करने हुए कतार में खड़ा कर दिया गया। एक-एक कर सभी मजदूरों की थर्मल स्कैनिग कर उनको स्टेशन से बाहर निकाल कर बसों में बैठाया जाने लगा। श्रमिकों के मुताबिक उनको रास्ते में भोजन एवं नाश्ता वगैरह दिया गया था लेकिन उनसे टिकट का दाम लिए जाने पर उन्होंने नाराजगी जताई। ट्रेन में महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे जो अपने घर पहुंचने के लिए काफी परेशान दिख रहे थे।

----------- - स्पेशल ट्रेन में जिले के अलावा करीब अन्य कई जिलों के श्रमिक आए थे। उनकी थर्मल स्कैनिग करने के बाद अन्य जिलों के कुल 1060 श्रमिकों को रोडवेज की बसों से भेज दिया गया। वहीं जिले के 140 कामगारों को उनके घरों को भेज कर उनको होम क्वारंटाइन कर दिया गया।

- श्रीप्रकाश गुप्ता, एसडीओ।

------------ लोग बोले ...

- गाजीपुर की यात्रा करने के लिए उनको 910 रुपये देने पड़े। टिकट का दाम नहीं लेना चाहिए था। उनको काफी समस्या हुई। ऐसा करके सरकार ने बहुत गलत काम किया है।- रामप्रकाश, जखनियां।

------- - सरकार को यह कदम पहले ही उठा लेना चाहिए था। इस दौरान उनको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कई दिन लाइन में लगना पड़ा। - रविराज, मुहम्मदाबाद।

----------- - रास्ते में उनको नाश्ते एवं भोजन की पूरी व्यवस्था थी। शुरुआत में ही उनको नमकीन एवं बिस्किट और पानी दिया गया था लेकिन टिकट का दाम देना काफी अखर गया। उनके पास पैसे नहीं थे। - मेवालाल, बहराइच।

----------- : मेहनत-मजूदरी कर पेट भरते थे, लेकिन कोरोना के कारण काम बंद हो गया था। साथ ही घर जाने को मन कर रहा था। अब संकट समाप्त होने के बाद ही दोबारा वहां जाने के बारे में सोचा जाएगा। - प्रदीप कुमार, कौशाम्बी।


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