ट्रेनों का भार नहीं उठा पा रहीं जर्जर पटरियां
जमानियां (गाजीपुर) रेलवे का अति व्यस्त रूट कहे जाने वाला दिल्ली - हावड़ा मेन लाइन पर पीडीडीयू - पटना रेलखंड पर जर्जर पटरियां आए दिन टूटने का कारण बन रही है। इस रेल खंड के गहमर और दिलदारनगर सेक्शन में जर्जर और पुराने रेल पटरी पर दौड़ रही तेज रफ्तार ट्रेनें आए दिन यात्रियों को मौत की दावत दे रही हैं।
जासं, जमानियां (गाजीपुर) : रेलवे का अति व्यस्त रूट कहे जाने वाला दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर पीडीडीयू -पटना रेलखंड की जर्जर पटरियां तेज रफ्तार ट्रेनों का भार नहीं उठा पा रही हैं। आए दिन यह टूट रही हैं। इस रेल खंड के गहमर और दिलदारनगर सेक्शन में जर्जर और पुराने रेल पटरी पर दौड़ रही ट्रेनें आए दिन यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही हैं। इससे साफ जाहिर है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा रेल पटरी के रख-रखाव में गंभीरता नहीं बरती जा रही है।
देश के कई स्थानों पर लगातार ट्रेन दुर्घटनाओं में कहीं न कहीं जर्जर व पुरानी रेल पटरियों की भी बड़ी भूमिका है। पीडीडीयू-पटना रेल खंड के दिलदारनगर व गहमर सेक्शन की भी पटरियों की हालत कुछ ठीक नहीं है। पीडीडीयू-पटना रूट पर प्रतिदिन राजधानी सहित दर्जनों मेल व एक्सप्रेस ट्रेन तेज की रफ्तार में दौड़ती है। ठंड के दिनों में दिलदारनगर और गहमर सेक्शन में अप और डाउन लाइन में कहीं न कहीं पटरी टूटने और चटकने की घटना होती रहती है। कई बार तो चटकी व टूटी पटरी से ही ट्रेनें गुजर जाती है। टूटी और चटकी पटरियों को विभाग दुरुस्त कर पुन: ट्रेनों को काशन के माध्यम से चलाने लगता है। इसके बाद उसी पटरी के चटके हुए स्थान पर वेल्डिग कर पूरे रफ्तार में ट्रेनों को चलाना शुरू करता है जो सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है।
32 वर्ष पुरानी रेल पटरी पर चल रहीं ट्रेनें
: पीडीडीयू-पटना रेल खंड के 27 किमी लंबा गहमर सेक्शन का कार्य क्षेत्र भदौरा से बिहार के चौसा स्टेशन तक है जबकि 50 किमी लंबा दिलदारनगर सेक्शन का कार्यक्षेत्र देहवल से कुछमन तक है। इस सेक्शन में दिलदारनगर बाई पासगेट फाटक से देहवल गांव तक 52 किलो का ही रेल पटरी लगा है, जबकि रेल पथविभाग द्वारा 20 साल बाद रेल पटरी को बदल दिया जाता है। लेकिन गहमर और दिलदारनगर सेक्शन में आज तक रेल पटरी नहीं बदले जाने से ठंड के दिनों में जगह-जगह पटरियां टूट जाती हैं। फिर भी विभाग द्वारा उन्हें बदलना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है।
पेट्रोलिग के सहारे होती है ट्रैकों की निगरानी
: अप और डाउन लाइन में दो किमी पर दो ट्रैक मैनों की ड्यूटी इंजीनियरिग विभाग द्वारा लगाकर ट्रैक की निगरानी करायी जाती है। यह ट्रैकमैन रेल ट्रैक की निगरानी बारीकी से करते हैं। ट्रैक में लगे पेंडोल क्लिप, पटरियों के बीच लगने वाली फिश प्लेट के बोल्ट को चेक करते हैं। ढीली होने पर उन्हें टाइट कर देते हैं। लेकिन कर्मचारियों की कमी से इसमे भी दिक्कत उत्पन्न हो रही है।
वर्ष 2013 में हुई है घटना
: वर्ष 2013 के नवंबर माह में भदौरा स्टेशन के कुछ दूरी पर देवकली गांव के पास पैसेंजर ट्रेन गुजरने के बाद डाउन लाइन में रेल पटरी टूट गई थी। नतीजतन कुछ ही देर बाद कुर्ला पटना एक्सप्रेस ट्रेन की पांच बोगियां रेल पटरी से उतर गईं जिसमें एक यात्री की मौत भी हुई थी। इसके अलावा इस रूट पर चटकी पटरी पर अनगिनत बार ट्रेनें तेज रफ्तार से गुजर गईं।
ठंड में सिकुड़न के कारण टूट रही रेल पटरी
: ठंड के दिनों में रेल पटरी सिकुड़ती है इसलिए टूट जाती है। विभाग पटरियों को दुरुस्त कर ट्रेनों को चलाता है। जर्जर रेल पटरी को बदलने की प्रक्रिया होती है। सिर्फ गहमर और दिलदारनगर में ही रेल पटरी नहीं टूटती बल्कि अन्य रेल खंडों में भी ठंड के कारण इनके टूटने का क्रम बना रहता है। रेल पथ विभाग के अधिकारियों को जब यह लगता है कि अब पटरी बदलना अनिवार्य है तो वह रिपोर्ट बनाकर मंडल मुख्यालय भेजते हैं और विभागीय प्रक्रिया के बाद पटरी बदली जाती है। संजय प्रसाद जनसंपर्क अधिकारी, पूर्व मध्य रेलवे दानापुर मंडल