पानी में मानक से अधिक फ्लोराइड तथा आर्सेनिक आने से बढ़ा खतरा
क्षेत्र में ईंट-भट्ठों की बाढ़ और खेतों में केमिकल डालने से भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा बढ़ रही है।
जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : क्षेत्र में ईंट-भट्ठों की बाढ़ और खेतों में केमिकल डालने से भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा बढ़ रही है। पीने के पानी में मानक से अधिक फ्लोराइड तथा आर्सेनिक आने से गंभीर बीमारी के खतरे बढ़ गए हैं। पीने का 90 प्रतिशत पानी हैंडपंप या सबमर्सिबल के माध्यम से जमीन के अंदर से ही लिया जाता है। अतिदोहन के चलते भूमिगत जलस्तर खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है जिसके परिणाम स्वरूप पानी में ऐसे तत्व आ रहे हैं जो मानक से अधिक हैं। मानक के अनुसार पीने के पानी में फ्लोराइड की वांछनीय मान्य सीमा 1.0 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य सीमा 1.5 पीपीएम तथा आर्सेनिक की मान्य सीमा 0.01 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य सीमा 0.05 पीपीएम है। अधिकांश गांवों में सामान्य जल दो से तीन पीपीएम तक पंहुच गया है। पीने के पानी में मानक से अधिक फ्लोराइड से घातक रोग फ्लोरोसिस हो जाता है जिससें दन्तक्षरण, जोड़ों में अकड़न तथा हड्डियों में मुड़ाव ला देता है। पीने के पानी में मानक से अधिक 1 पीपीएम आर्सेनिक है जो त्वचा रोग एवं कैंसर देता है। फ्लोराइड तथा आर्सेनिक प्रभावित गांवों में नागरिकों पर पड़े प्रभावों तथा परिणामों का मूल्यांकन कर शासन को इसे रोकने का प्रयास करना जरूरी हो गया है। वहीं दूसरी तरफ कासिमाबाद तहसील परिसर में फरियादियों के लिए सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। तहसील में करीब 20 से 30 किमी से सैकड़ों फरियादियों का रोजाना आना-जाना होता रहा है। इसके चलते लोगों को काफी परेशानी होती है। तहसील में लगा वाटर कूलर खराब है। पेयजल व शौचालय की व्यवस्था न होने से लोगों में आक्रोश है।