जलसंरक्षण के साथ फसलों को सींच रहे सुरेश सिंह
बारा (गाजीपुर) सेवराईं तहसील के गहमर गांव निवासी सुरेश सिंह एक पंथ दो काज की कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। पिछले चार साल से वह बारिश का पानी अपने खेत में एकत्रित करके उसी से खेतों में लगी फसलों को सींचते हैं।
जासं, बारा (गाजीपुर) : सेवराईं तहसील के गहमर गांव निवासी सुरेश सिंह एक पंथ दो काज की कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। पिछले चार साल से वह बारिश का पानी अपने खेत में एकत्रित करके उसी से खेतों में लगी फसलों को सींचते हैं। उनकी इस अनूठी पहल से जहां जल संरक्षण हो रहा है तो वहीं वे आसपास के ग्रामीणों को भी रूबरू करा रहे हैं। इनके इस प्रयास को सराहने के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी इस पर अमल करना शुरू कर दिया है।
फौजियों के गांव के रूप में प्रसिद्ध ग्राम गहमर निवासी सुरेश सिंह किसान हैं। मौजूदा समय में वे दस बीघे की खेती कर रहे हैं। यहां बारिश का पानी बड़े पैमाने पर बर्बाद हो जाता है। ऐसे में पानी की बर्बादी देखकर उनके मन में जल संरक्षण का खयाल आया। वर्ष 2015 में उन्होंने अपने खेत में दो गड्ढे खोदवाए हैं। एक गड्ढा 70 मीटर लंबा व 10 मीटर चौड़ा और 20 फीट गहरा और दूसरा 30 मीटर लंबा, 10 मीटर चौड़ा व 20 फीट गहरा गड्ढा तैयार कर दिया। बारिश का पानी इन्हीं गड्ढों में भरने लगा। इस पानी का प्रयोग उन्होंने खेतों में लगी फसल को सींचने में शुरु किया। पिछले चार साल से यह सिलसिला जारी है। दोनों गड्ढों को सीधे खेतों से जोड़ दिया है। जब गड्ढा ओवरफ्लो हो जाता है तो पानी सीधे खेतों में पहुंचता है।
अन्य लोगों को भी कर रहे जागरूक
: सुरेश सिंह बारिश के पानी को सहेजने के साथ अपने आसपास के ग्रामीणों को भी जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। अन्य लोग भी उनकी इस अनूठी पहल से प्रेरित होकर इस विधि को अपनाने में जुटे हैं।
दस बीघा खेतों की करते हैं सिचाई
: किसान सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि बारिश का पानी बर्बाद होते देखकर मन में जल संरक्षण का ख्याल आया। जल संरक्षण के लिए कोई जगह नहीं मिली तो खेत में ही गड्ढा खोदवा दिया। चार साल से बारिश का पानी गड्ढे में ही जमा होता है। उसी पानी से करीब दस बीघे खेत की सिचाई करते हैं।