श्रीकृष्ण से मिलकर घर पहुंचे तो चकित रह गए सुदामा
जासं सादात (गाजीपुर) शिशुआपार गांव स्थित श्री मौनी बाबा आश्रम (अमरहिया कुटी) पर शुक्रवार को सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हवन-पूजन के साथ हुआ। सैकड़ो भक्तों ने यज्ञ में आहुति देकर पुण्य प्राप्त किया। महंत अवधूत गिरि व आचार्य श्री नरदेव गिरि की देखरेख में पूजन-अर्चन किया गया। आचार्य नरदेव गिरी ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण व उनके मित्र सुदामा के मिलन की कथा सुनाई।
जासं, सादात (गाजीपुर) : शिशुआपार गांव स्थित श्री मौनी बाबा आश्रम (अमरहिया कुटी) पर शुक्रवार को सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हवन-पूजन के साथ हुआ। सैकड़ों भक्तों ने यज्ञ में आहुति देकर पुण्य प्राप्त किया। महंत अवधूत गिरि व आचार्य श्री नरदेव गिरि की देखरेख में पूजन-अर्चन किया गया। आचार्य नरदेव गिरी ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण व उनके मित्र सुदामा के मिलन की कथा सुनाई।
उन्होंने कहा कि मित्र का वही स्थान होता है जो एक सच्चे भक्त के लिए भगवान का होता है। अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने जब सुदामा घर से चले तो उनकी पत्नी ने उन्हें चावल की पोटली बनाकर दिया। सुदामा जब भगवान श्री कृष्ण के महल के बाहर पहुंचे और उनके आने का संदेश श्री कृष्ण को मिला तो वे अपने मित्र से मिलने तुरंत चल दिए। सुदामा से मिलने के बाद उन्होंने उनका सम्मान किया। लौटते समय सुदामा जो कपड़े पहनकर आए थे श्रीकृष्ण ने उन्हीं कपड़ों में उन्हें वापस भेजा। सुदामा जब अपने घर पहुंचे तो महल देखकर चकित रह गए। द्वारपालों से पूछा कि यह किसका महल है तो उन्होंने बताया कि यह सुदामा पुरी सुदामा का है जो अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने गए हैं। सुदामा चकित हो गए और पत्नी के बारे में पूछा तो द्वारपाल उन्हें अंदर ले गए। आचार्य गिरि ने राजा परीक्षित व महाराजा यदु की कथा का रोचक वर्णन किया। श्रीकृष्ण व सुदामा की आकर्षक झांकी भी प्रस्तुत की गई। आश्रम के पुजारी प्रकाश गिरि ने बताया कि 24 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व 25 को विशाल भंडारा होगा। आचार्य दुर्गेश, अमीर, सुशील राय, झारखंडेय, ग्रामप्रधान बालगोविद राय, विध्याचल सेठ, अमरनाथ राय आदि थे।