एमडीएम का दूध पीकर बीमार हुए 20 बच्चे, हड़कंप
(गाजीपुर) ब्लाक क्षेत्र के गढ़ही गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में बुधवार की दोपहर दूध पीने से 20 बच्चे बीमार हो गए। बच्चों के पेट दर्द व उल्टी करता देख शिक्षकों में हड़कंप मच गया।
जासं, जमानियां (गाजीपुर) : ब्लाक क्षेत्र के गढ़ही गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में बुधवार की दोपहर दूध पीने से 20 बच्चे बीमार हो गए। बच्चों के पेट दर्द व उल्टी करता देख शिक्षकों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन एंबुलेंस से सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरुइन लाया गया। हालात ठीक होने पर कुछ देर बाद उन्हें घर भेज दिया गया। दूध का सेंपल लेने के बाद उसकी जांच हो रही है।
साप्ताहिक मीनू के अनुसार बच्चों को दूध पिलाया जाना था, जिसके लिए विद्यालय में बाल्टी में भरकर दूध रखा गया था। बच्चों को मध्यान्ह में तहरी के बाद दूध दिया गया। दूध पीने के कुछ देर बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। जब तक लोग कुछ समझ पाते एक एक कर दर्जनों बच्चे उल्टी व पेट दर्द की शिकायत करने लगे। किसी अनहोनी की आशंका से विद्यालय के अध्यापक बच्चों को एंबुलेंस लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरुइन पहुंचे। सूचना पर रोते-बिलखते परिजन भी अस्पताल पहुंचे लेकिन बच्चों को ठीक देख उन्होंने राहत की सांस ली। घटना की सूचना मिलते ही बीआरसी भूपेंद्र गुप्ता भी अस्पताल पहुंचे और उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराया। अभिभावक शिव प्रसाद, परमानंद तिवारी, कंचन देवी, मनोज कुमार का आरोप है कि विद्यालय के शिक्षकों की लापरवाही के चलते बच्चों की जान पर बन आई। संयोग ठीक रहा है सभी बच्चे ठीक हैं। यह सब कैसे हुआ, कोई बताने को तैयार नहीं है। उधर बीएसए का कहना है कि बच्चों को दिए गए दूध का सेंपल लिया गया है। इसकी जांच कराई जाएगी। हम लोग बच्चों के घर गए थे, सभी स्वस्थ हैं।
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यह बच्चे हुए बीमार:
-खुश्बू कुमारी, सुधांशु वर्मा, अवंतिका वर्मा, मोनू वर्मा, छोटे लाल, सुलेखा, आकाश, विकास, दुर्गेश, अमरजीत, अंकित, लक्षमण, गुलशन कुमार, हरीश कुमार, खुश्बू, विश्वास, सूरज, अभिषेक, स्नेहा, करिश्मा।
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प्रधान के घर से आया दूध
- विद्यालय के सहायक अध्यापक कमल कुमार ने बताया कि बच्चों को मिड डे मील मध्याह्न भोजन के बाद देने वाला दूध प्रधान के घर से रसोइयां लाई थी। विद्यालय में 35 बच्चे आये थे। इनमें दूध पीने से 20 बच्चे बीमार हो गए।
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बोले प्रधान प्रतिनिधि: ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कृष्णानंद ने बताया कि मिड-डे-मील के लिए घर से उच्च प्राथमिक के लिए आठ लीटर तथा प्राथमिक विद्यालय के लिए छह लीटर दूध दोनों विद्यालय की रसोइयां लेकर गईं थीं। एक दूध को प्राथमिक व उच्च प्राथमिक दोनों विद्यालयों के बच्चे पीए लेकिन बीमार सिर्फ उच्च प्राथमिक के बच्चे हुए। यह कैसे हुआ? इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
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शुक्र है वर्ना स्थिति होती दूसरी
-परिषदीय विद्यालयों में जिस तरीके से मिड-डे-मील को लेकर उदासीनता बरती जा रही है वह कभी भी बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकती है। शिक्षा का बेड़ा तो गर्क हुआ ही है अब एमडीएम जान पर बन आई है। यह तो ईश्वर का शुक्र है नहीं तो आज तो दूसरी स्थिति रही होती। इसका सिर्फ और सिर्फ एक वजह है महकमे की उदासीनता। आला अधिकारी के गैरजिम्मेदाराना रवैए के तो भगवान ही मालिक हैं। फिर जब यहां का यह हाल है तो नीचे के लोगों को क्या गरज पड़ी तो एमडीएम और पढ़ाई का खयाल रखें।