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श्रीराम व श्रीकृष्ण संस्कृति के प्राण

जासं सादात (गाजीपुर) मनुष्यों की समस्याओं का समाधान भगवान करते हैं लेकिन विधाता की बाधा का समाधान हनुमान करते हैं। लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा था और उनके प्राण संकट में थे तो प्रभु श्रीराम भाई के लिए विलाप कर रहे थे। तब हनुमान जी ने हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की प्राण रक्षा की थी। उक्त बातें डा. उमाशंकर त्रिपाठी ने नगर मे चल रहे सात दिवसीय भागवतकथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर रविवार को कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीराम व श्रीकृष्ण हमारे संस्कृति के प्राण हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 06:36 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 06:36 PM (IST)
श्रीराम व श्रीकृष्ण 
संस्कृति के प्राण
श्रीराम व श्रीकृष्ण संस्कृति के प्राण

जासं, सादात (गाजीपुर) : मनुष्यों की समस्याओं का समाधान भगवान करते हैं लेकिन विधाता की बाधा का समाधान हनुमान करते हैं। लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा था, उनके प्राण संकट में थे तो प्रभु श्रीराम भाई के लिए विलाप कर रहे थे। तब हनुमान जी ने हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की प्राण रक्षा की थी। उक्त बातें डा. उमाशंकर त्रिपाठी ने नगर में चल रहे सात दिवसीय भागवतकथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर रविवार को कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीराम व श्रीकृष्ण हमारे संस्कृति के प्राण हैं। यह हमारे कण-कण में विद्यमान हैं। कथा का समापन वैदिक मंत्रोच्चार, हवन यज्ञ, आरती आदि के साथ हुआ। भंडारा के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। सुभावती जायसवाल, कुसुमलता जायसवाल, रत्नेश, तारा, संगीता, संध्या, रेनू ममता, अलका, दीपा आदि थीं।

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