बसाओ प्रेम की बस्ती यहां हथियार मत बांटो..
जासं गाजीपुर साहित्य चेतना समाज का 35वां स्थापना दिवस समारोह नगर के परसपुरा स्थित अग्रसेन भवन में सोमवार को मनाया गया। संस्थापक अमर नाथ तिवारी ने संस्था के उद्देश्य एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ गीतकार मनमोहन मिश्र को चेतना सम्मान से सम्मानित किया गया। देर शाम तक कवि सम्मेलन व मुशायरा में वाराणसी मिर्जापुर प्रतापगढ़ व सोनभद्र से आए कवियों के अलावा शायरों ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।
जासं, गाजीपुर : साहित्य चेतना समाज का 35वां स्थापना दिवस समारोह नगर के परसपुरा स्थित अग्रसेन भवन में सोमवार को मनाया गया। संस्थापक अमर नाथ तिवारी ने संस्था के उद्देश्य एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ गीतकार मनमोहन मिश्र को चेतना सम्मान से सम्मानित किया गया। देर शाम तक कवि सम्मेलन व मुशायरा में वाराणसी, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ व सोनभद्र से आए कवियों के अलावा शायरों ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।
इसका शुभारंभ नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने किया। वाराणसी के कुंवर सिंह कुंवर ने 'फिक्र ने जो गजल उतारी है वो मेरे दिल की बेकरारी है जो दुपट्टा गजल के सर पे है उसपे लफ्जों की दस्तकारी है' सुनाकर श्रोताओं के मन को छू लिया। मिर्जापुर की पूनम श्रीवास्तव ने 'तुझसे बेहद मैं प्यार करती हूं, जान तुझ पर निसार करती हूं, तेरी मिट्टी को मल के चेहरे पर ऐ वतन मैं श्रृंगार करती हूं'सुनाकर माहौल देशभक्ति मय कर दिया। युवा कवयित्री प्रतापगढ़ की साक्षी तिवारी ने 'नन्हीं सी कलम हूं मैं पर काम बड़ा कर दूं, आशीष मिले सबका तो नाम बड़ा कर दूं' सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। वाराणसी के नागेश शाण्डिल्य ने हास्य- व्यंग्य रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वाराणसी के सलीम शिवालवी ने 'बसाओ प्रेम की बस्ती यहां हथियार मत बांटो, तुम अपनी खूबियों का फूल बांटो खार मत बांटो' सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। प्रतापगढ़ की मीरा तिवारी की 'प्यार का ढाई आखर कबीरा हूं मैं, भावना भाव की एक मजीरा हूं मैं, एक पल के लिए श्याम बन जाओ युगों से दीवानी मीरा हूं मैं'पंक्तियां खूब सराही गईं। सोनभद्र के मनमोहन मिश्र ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कई गीत सुनाकर श्रोताओं को झूमने के लिए बाध्य कर दिया। रणजीत सिंह एडवोकेट, अक्षय दूबे, डा. सानंद सिंह, डा. अरविद, पूर्व विधायक अमिताभ अनिल दूबे, पूर्व एमएलसी प्रो. बाबूलाल बलवंत, राघव शर्मा रमन, आनंद अग्रवाल, डा.अक्षय पांडेय, कामेश्वर दूबे, डा. श्रीकांत पांडेय, प्रभाकर त्रिपाठी, डा. रविनंदन वर्मा आदि थे। अध्यक्षता मनमोहन मिश्र व संचालन हरिनारायण हरीश ने किया।