सेमरा के पास खतरे के निशान को छूने को बेताब गंगा
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : गंगा जलस्तर में बढ़ाव की रफ्तार कुछ कम तो हुई है लेकिन अभी
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : गंगा जलस्तर में बढ़ाव की रफ्तार कुछ कम तो हुई है लेकिन अभी भी पांच सेमी प्रति घंटे से बढ़ाव जारी है। गंगा का रौद्र रूप देखकर तटवर्ती व कटान क्षेत्र के लोगों में भय व्याप्त हो गया है। सोमवार की दोपहर 2 बजे तक गंगा का जलस्तर 58.610 मीटर गंगा का जलस्तर था, जो खतरे के निशान से पांच मीटर दूर है। मुहम्मदाबाद के सेमरा व शिवराय का पुरा में अरार छूने को गंगा बेताब हो गई हैं। यहां चल रहा ठोकर निर्माण भी बंद हो गया है। करंडा के बड़हरिया में 10 मंडा कृषि योग्य भूमि गंगा में विलीन हो गई। 10 मंडा भूमि गंगा में समाहित
करंडा: बड़हरिया में गंगा कटान से सोमवार को 10 मंडा कृषि योग्य भूमि गंगा में समाहित हो गई। इसे लेकर आसपास के किसानों में दशहत है। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव हो रहा है। अगर इसी तरह कटान होता रहा तो गो¨वद, कपिलदेव, हरिदयाल, कमला, दयाशंकर, तेज नरायन, देवनरायन व बसगित का घर भी कटान की भेंट चढ़ जाएगा। ठेकेदारों की मनमानी से अधर में ग्रामीणों का भविष्य
मुहम्मदाबाद: गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण सेमरा व शिवरायकापुरा गांव के पास अब धारा अरार के बराबर होने की ओर से पहुंच रही है। जलस्तर काफी बढ़ जाने से ठोकर मरम्मत का कार्य पूरी तरह से ठप हो गया। कटान से गांव को नुकसान होने को लेकर ग्रामीण काफी भयाक्रांत हैं। गंगा से हो रहे कटान से सेमरा व शिवरायकापुरा गांव को बचाने को लेकर प्रदेश की सपा सरकार की ओर से ठोकर का निर्माण कराया गया था। वर्ष 2016 में आई बाढ़ की विभीषिका के दौरान शिवरायकापुरा से सटे रामतुलाई व सेमरा गांव के दीनानाथ राय के मकान के पास ठोकर का काफी हिस्सा गंगा की धारा में समा गया। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद ठोकर मरम्मत के लिए धन आवंटित होने का आश्वासन मिलता रहा जबकि बरसात व बाढ़ का सीजन बीतने के बाद भी धनराशि का पता नहीं चला। इस वर्ष शासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को देखते हुए दैनिक जागरण की ओर से अभियान व ग्रामीणों की ओर से काफी लंबा आंदोलन चलाया गया। फलस्वरूप ठोकर मरम्मत के लिए प्रदेश सरकार की ओर से धनराशि मुहैया कराई गई। धन आवंटित होने के बाद विभाग की ओर से ठेकेदार तो नियुक्त कर दिए गए लेकिन उनकी काम करने की गति ग्रामीणों के बीच शुरू से ही सवालों के घेरे में रहा। लोगों के बीच शुरू से ही चल रहा कि शायद ही यह काम पूरा कर पाएंगे। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी व अन्य अधिकारी आए दिन मरम्मत कार्य का जायजा लेकर दिशा निर्देश जारी करते रहे, लेकिन उनके निर्देशों का कहीं कोई असर नहीं दिखा। आखिर में जलस्तर बढ़ गया और ठोकर मरम्मत का कार्य अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सका। जबकि मरम्मत के नाम पर बोल्डर मंगाने और बालू की बोरी डालने के नाम पर काफी सरकारी धनराशि खर्च हो चुकी है। मरम्मत कार्य न होने व जलस्तर में तेजी से हो रहे बढ़ाव के चलते ग्रामीण काफी डरे सहमे हुए हैं। उनका कहना है कि दैनिक जागरण की ओर से गांव बचाने का अभियान चलाया गया और वह अभियान से प्रेरणा लेकर आंदोलन किए। इससे शासन से धन तो आ गया, लेकिन ठेकेदारों ने मनमानी कर आज गांव का भविष्य अधर में डाल दिया है। गंगा के साथ कर्मनाशा में भी बढ़ाव शुरू
बारा: गंगा और कर्मनाशा का जलस्तर बढ़ने का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। शुक्रवार शाम से ही इन नदियों के जलस्तर में तेजी के साथ वृद्धि होने से तटवर्ती गांवों में बाढ़ को लेकर हलचल मच गई है। बाढ़ की आशंका को लेकर गंगा और कर्मनाशा के किनारे लोगों की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। हालांकि बाढ़ से राहत के लिए तहसील प्रशासन द्वारा क्षेत्र में 30 बाढ़ चौकियां स्थापित करने को स्थान भी ¨चहित कर ली गई है। नदियों के किनारे स्थित बारा, कुतुबपुर, मगरखाई, भतौरा, दलपतपुर, सायर, राजमल बांध, देवल आदि गांवों के लोगों की ¨चता भी बढ़ गई है। संभावित बाढ़ के मद्देनजर रविवार को उपजिलाधिकारी सेवराईं मुहम्मद कमर ने संभावित बाढ़ क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि संभावित बाढ़ को देखते हुए विभिन्न गांवों का दौरा कर हाल जाना। सेवराईं तहसील क्षेत्र के बारा, कुतुबपुर, मगरखाई, हरकरनपुर, भतौरा, दलपतपुर, सायर, राजमल बांध, कामाख्या धाम सहित 30 बाढ़ चौकियां मंगलवार तक स्थापित कर दी जाएंगी।