संयम के साथ खुदा की इबादत का महीना है रमजान
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: माह-ए-रमजान संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना है
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: माह-ए-रमजान संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना है जिसमें हर आदमी अपनी रूह को पाक करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ काबू में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को रोजेदार पूरी तरह से दुनियावी बातों को भूल कर इबादत में मशगूल दिखे। सहरी-नमाज से शुरू हुई सुबह देर रात इबादत पर ही समाप्त हुई। मिश्र बाजार स्थित कोतवाली के सामने वाली मसजिद में तरावीह मुकम्मल होने पर हाफिज मोहम्मद जावेद को सम्मानित किया गया।
रमजान में रोजेदारों के शरीर का हर हिस्सा रोजा रखता है। आंखें बुरी नियत से न देखने का रोजा तो जुबान गलतबयानी, चुगली, बुराई न करने का रोजा रखती हैं। इसी प्रकार कान बुरा न सुनने का रोजा, तो हाथ गलत काम न करने और पैर गलत कदम न उठाने का रोजा रखते हैं। शरीर का हर हिस्सा रोजेदार के साथ उसकी इबादत में शामिल रहता है। खुदा ने आदमी को पैदा किया है उसके लिए सब प्रकार का त्याग मजबूरी नहीं फर्ज बन जाता है। इसीलिए तकवा लाने के लिए पूरे रमजान के महीने रोजे रखे जाते हैं। मुस्लिम मोहल्लों में दिख रही रौनक
बारा : रहमतों व बरकतों वाले माहे रमजान के चलते इन दिनों मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों की रौनक देखने लायक है। मस्जिदों से लेकर घरों तक जहां कुरान के तिलावत की सदाएं बुलंद हो रही हैं नमाजे तरावीह के चलते देर रात तक मोहल्लों में चहल - पहल देखी जा रही है। मोमिनों के लिए अल्लाह का नायाब तोहफा माहे रमजान तेजी के साथ गुजर रहा है। इसी के साथ बंदों द्वारा रोजा, नमाज, तिलावत, नमाजे तरावीह के दौरान अल्लाह को खुश करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। रमजान के चलते मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में एक अलग ही रौनक नजर आ रही है। भोर में ढाई बजे से ही सेहरी के लिए मस्जिदों से अनाउंस होने लगता है तो बाद नमाज फज्र घरों से कुरान के तिलावत की सदा आने लगती है। उधर जोहर, असर, मगरिब व ईशा की नमाज के व़क्त मस्जिदों में पैर रखने की जगह नहीं है। इसी तरह माह की विशेष नमाज तरावीह को लेकर लोगों में व्यापक उत्साह देखा जा रहा है। उमस भरी गर्मी के बावजूद बारा गांव स्थित लगभग सभी मस्जिदें नमाजियों से भर जाती है। रात दस बजे के बाद तरावीह की नमाज मुकम्मल होने के बादबाजार सहित गांव के मुख्य मार्गों पर चहल पहल बढ़ जाती है। नमाजे तरावीह के खाली होने के बाद लोग चाय-पान की दुकानों पर उमड़ रहे हैं।