चीनी राखियों पर प्रतिबंध, निर्माताओं के खिले चेहरे
जागरण संवाददाता खानपुर (गाजीपुर) रक्षाबंधन के लिए देशी राखियों की तैयारी जोरों पर है।
जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर): रक्षाबंधन के लिए देशी राखियों की तैयारी जोरों पर है। कोरोना संक्रमण काल में चाइनीज राखी बैन होने और लोगों में स्वदेशी की भावना जागृत होने से राखी निर्माताओं के चेहरे पर रौनक लौटी है। पिछले 20 वर्षों से राखी बनाकर बेचने वाली खानपुर की वृद्धा गेंदा गोस्वामी का परिवार इस बार रक्षाबंधन पर राखी के मिले ऑर्डर से खुश है। परिवार के प्रभु गोस्वामी कहते हैं कि स्व. दादा मार्कंडेय और स्व. पिता रामायण गोस्वामी के जमाने से पूरा परिवार इसी कलाकारी और हुनरमंदी की रोटी खा रहे हैं। पूरे परिवार की महिलाएं और पुरुष सदस्य सालभर मउरा (सेहरा), डाल माउनी और राखी बनाता है। इस वर्ष राखियों की मांग बढ़ गई है। पूरा परिवार दिन रात राखी बनाने में व्यस्त है। प्रभु का कहना है कि राखियों में लगने वाले सजावटी सामान पटना और कानपुर के बाद वाराणसी से खरीदा जाता है। इस वर्ष चाइनीज सामानों के बहिष्कार से भारी ऑर्डर मिले हैं लेकिन कोरोना बंदी की वजह से सिर्फ वाराणसी के मार्केट पर निर्भर होना पड़ रहा है। वाराणसी में भी श्रृंगार मार्केट में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मिलने से महीनों से हड़रा सराय बाजार बंद है। जिससें राखी में लगने वाले सामानों की उपलब्धता बहुत कम हो पाई है। गोस्वामी परिवार की महिलाएं राखी बनाती और पैकिग करतीं हैं। पुरुष सदस्य उसे साइकिल पर लेकर छोटे-छोटे दुकानों पर सप्लाई करते हैं। आठ सदस्यों के पूरे गोस्वामी परिवार के सभी छोटे-बड़े लोग इस धंधे में लगे हैं। हाथों की हुनरमंदी और आंखों के पैनापन के साथ कई नायाब डिजाइन बनाना आसान नहीं होता है। वृद्धा गेंदा देवी कहतीं है कि हर वर्ष राखी के सीजन में खरीदारों की फरमाइश बदल जाती है। नए-नए डिजाइन और कलाकारी की मांग होने लगती है। हम लोग बगैर किसी प्रशिक्षण के अपने दिमागी सोच और समझ से राखियों में सजावट और बनावट करते हैं।